जमशेदपुर : छात्र नेता बापन घोष के नेतृत्व में एक बंगभाषी प्रतिनिधि दल ने झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री एवं झारखंड विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी से सौजन्य भेंट की। इस अवसर पर प्रतिनिधि दल की ओर से नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जीवनी पर आधारित एक पुस्तक उन्हें भेंट की गई।
भेंट के दौरान प्रतिनिधि दल ने राजधानी रांची स्थित डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय का नाम बदलने के निर्णय पर गहरी चिंता व्यक्त की। उन्होंने बताया कि राज्य के लगभग 42% बंग समाज इस निर्णय से अत्यंत आहत, निराश और मर्माहत है। बापन घोष ने कहा डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी केवल एक राजनेता नहीं, बल्कि शिक्षा जगत में भी उनका योगदान असाधारण था। वे स्वयं विश्वविद्यालय के कुलपति रह चुके हैं और शिक्षा को जन-जन तक पहुँचाने के लिए उन्होंने अमूल्य कार्य किया। “डॉ. रांची स्थित श्यामाप्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय का नाम हटाना केवल एक राजनीतिक निर्णय है, जो पूरी तरह से अनुचित है। ऐसे महान शिक्षाविद् का अपमान नहीं होना चाहिए।”
उन्होंने सुझाव दिया कि रांची विश्वविद्यालय का नाम झारखंड के वीर सपूत वीर बुधु भगत जी के नाम पर किया जा सकता है ताकि राज्य की ऐतिहासिक पहचान को सम्मान मिले। साथ ही, उन्होंने यह भी मांग की कि डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय का नाम पूर्ववत रखा जाए ताकि उनके योगदान को उचित सम्मान मिलता रहे।
प्रतिनिधि दल ने श्री मरांडी से निवेदन किया कि वे इस विषय में पहल करें ताकि विश्वविद्यालय का नाम पुनः डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी के नाम पर बहाल किया जा सके. इस प्रतिनिध मंडल में बापन घोष, सोमनाथ घोष, शुभम पात्रों, प्रसेनजीत साव, स्वरूप ओझा, जयदेव, प्रवीर चटर्जी आदि लोग उपस्थित थे।
