BIHAR : उत्तर बिहार के नक्सल मुक्त होने के बाद अब दक्षिण बिहार को भी नक्सल मुक्त बनाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। इसके लिए दक्षिण बिहार की झारखंड से सटी सीमाओं पर 11 नए सुरक्षा कैंप स्थापित किए जाएंगे। यही नहीं संचार सुविधा करने के लिए मोबाइल टावर भी लगाए जाएंगे। वहीं लंबित फोर-जी अपग्रेडेशन का काम भी जल्द पूरा किया जाएगा।
बिहार में नक्सलियों का क्षेत्र लगातार सिमटता जा रहा है। उत्तर बिहार के नक्सल मुक्त होने के बाद अब दक्षिण बिहार की बारी है। इसके लिए झारखंड से सटे नक्सलियों के बचे प्रभावित क्षेत्रों को चिह्नित कर सुरक्षा और संचार के माध्यम मजबूत किए जा रहे हैं। इसी क्रम में झारखंड की सीमा पर 11 नए सुरक्षा कैंप स्थापित करने की योजना है। वहीं संचार को मजबूत करने के लिए मोबाइल टावर भी लगाए जाएंगे।
झारखंड की सीमा पर स्थापित होंगे नए सुरक्षा कैंप
बिहार को नक्सल मुक्त बनाने के लिए झारखंड की सीमा पर 11 नए सुरक्षा कैंप स्थापित किए जाएंगे। वहीं दूरस्थ पहाड़ी और जंगली क्षेत्रों के 55 स्थलों को चिह्नित कर मोबाइल टावर लगाने का भी प्रस्ताव केंद्र सरकार को सौंपा गया है। विभागीय रिपोर्ट के अनुसार पिछले छह सालों में नक्सल प्रभावित जिलों की संख्या आधी हो गई है। वर्ष 2018 में जहां 16 जिले नक्सल प्रभावित थे वहीं 2024 तक महज आठ जिले ही नक्सली असर वाले रह गए हैं। इनमें गया है।
सबसे ज्यादा नक्सली प्रभाव वाले एरिया
औरंगाबाद क्षेत्र और जमुई-लखीसराय-मुंगेर क्षेत्रों में नक्सली प्रभाव अधिक है। इन इलाकों में नए सुरक्षा कैंप स्थापित किए जाने हैं, ताकि नक्सली गतिविधियों पर नजर रखी जा सके। इसके लिए जगह भी चिह्नित कर ली गई है।
जल्द पूरा होगा फोर-जी अपग्रेडेशन का कार्य
इसके साथ ही मोबाइल टावर प्रोजेक्ट फेज-एक के तहत 250 चिह्नित साइट पर संचार की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए फोर-जी अपग्रेडेशन का काम लंबित है। यह काम पिछले साल दिसंबर में ही होना था जो नहीं हो सका मगर अब इसे जल्द शुरू करने का प्रस्ताव है।
नक्सलियों के विरुद्ध आसूचना संकलन पर जोर
नक्सलियों के विरुद्ध आसूचना संकलन पर भी लगातार जोर देने का निर्देश दिया गया है। इसके लिए विशेष कार्य बल (एसटीएफ) में विशेष आसूचना शाखा (एसआइबी) का गठन किया गया है।
इसके अंतर्गत स्पेशल इंटेलिजेंस ग्रुप (एसआइजी) के साथ एसटीएफ की तकनीकी एवं एनालिसिस विंग (एस-टा) आदि को लगाया गया है। इनकी आसूचना पर नक्सलियों के विरुद्ध कई सफल अभियान भी चलाए गए हैं। अब आसूचना को और मजबूत करने के लिए इन ग्रुप और विंग के कर्मियों को उन्नत प्रशिक्षण दिया जा रहा है।