GSLV-F 15 का इंटीग्रेशन पूरा’, इसरो ने कहा- लॉन्च के लिए तैयार; 29 जनवरी को रॉकेट की लॉन्चिंग
लोकतंत्र सवेरा न्यूज़ : इसरो ने रविवार को बताया कि उसके रॉकेट जीएसएलवी-एफ15 का सैटेलाइट एनवीएस-02 के साथ इंटीग्रेशन पूरा हो गया है। यह रॉकेट, जिसमें स्वदेशी क्रायोजेनिक स्टेज है, 29 जनवरी को लॉन्च किया जाएगा। इस रॉकेट पर सैटेलाइट एनवीएस-02 होगा। यह श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से 100वां मिशन होगा।
GSLV-F 15: एक्स पर इसरो ने साझा की जानकारी
इसरो ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर पोस्ट में बताया कि, ‘जीएसएलवी-एफ15 का इंटीग्रेशन पूरा हो गया है! इस मिशन के पीछे की अद्भुत टीमवर्क की एक झलक देखें। लॉन्च के काउंटडाउन में 3 दिन से कम बचे हैं!। इसरो ने बताया कि जीएसएलवी-एफ15, एनवीएस-02 सैटेलाइट को भू-स्थिर स्थानांतरण कक्षा में स्थापित करेगा। इसे सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के दूसरे लॉन्च पैड से लॉन्च किया जाएगा।
GSLV-F 15: एनवीएस सीरीज का दूसरा सैटेलाइट है एनवीएस-02
बता दें कि, एनवीएस-01, जो दूसरी पीढ़ी का पहला सैटेलाइट था, 29 मई 2023 को जीएसएलवी-एफ12 के जरिए लॉन्च किया गया था। जबकि, एनवीएस-02, एनवीएस सीरीज का दूसरा सैटेलाइट है। इसमें एल1, एल5 और एस बैंड में नेविगेशन पेलोड के साथ-साथ सी-बैंड में रेंजिंग पेलोड भी लगाया गया है, जैसा कि इसकी पहली पीढ़ी की सैटेलाइट एनवीएस-01 में था।
GSLV-F 15: नेविगेशन सेवाओं में और होगा सुधार
इसरो के अनुसार, NavIC (नेविगेशन विद इंडियन कंस्टीलेशन) भारत का स्वतंत्र क्षेत्रीय नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम है। इसका उद्देश्य भारत और भारतीय जमीन से 1,500 किमी तक फैले क्षेत्र में उपयोगकर्ताओं को सटीक पोजीशन, वेलोसिटी और टाइमिंग सेवाएं प्रदान करना है। एनवीएस-01/02/03/04/05 को नेविगेशन सेवाओं की निरंतरता सुनिश्चित करने के लिए बेस लेयर कंस्टीलेशन को और मजबूत बनाने के लिए तैयार किया गया है।
GSLV-F 15: सैटेलाइट यूआर सैटेलाइट सेंटर में डिजाइन और विकसित
इसरो ने कहा कि एनवीएस-02 सैटेलाइट सटीक समय माप के लिए स्वदेशी और खरीदी गई एटॉमिक क्लॉक्स का उपयोग करता है। यह सैटेलाइट यूआर सैटेलाइट सेंटर (यूआरएससी) में अन्य केंद्रों के सहयोग से डिजाइन, विकसित और इंटीग्रेट किया गया है। जीएसएलवी-एफ15 भारत के भू-स्थिर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल का 17वां और स्वदेशी क्रायोजेनिक स्टेज के साथ 11वां मिशन है। यह स्वदेशी क्रायोजेनिक स्टेज के साथ जीएसएलवी का आठवां ऑपरेशनल मिशन भी है।