मेरठ: उत्तर प्रदेश के मेरठ में स्थित पीपलेश्वर शिव मंदिर, जो हिंदू समुदाय के लिए एक ऐतिहासिक महत्व रखता है, पिछले 42 वर्षों से बंद पड़ा हुआ है। यह मंदिर मेरठ के मुस्लिम बहुल इलाके शाहगासा में स्थित है, और 1982 से यह वीरान है। इस मंदिर का अब तक कोई भी जीर्णोद्धार नहीं हुआ है, और इसकी हालत खस्ताहाल हो गई है। मंदिर के आस-पास का कुआं भी प्रशासन के ताले में बंद है, और मंदिर तक पहुंचने का कोई रास्ता नहीं बचा है। हालांकि, नीचे के क्षेत्र में अब भी कुछ लोग पूजा-पाठ करते हैं, लेकिन मंदिर का उद्घाटन या पुनर्निर्माण अब भी दूर की बात है।
मंदिर बंद होने की कहानी
पीपलेश्वर शिव मंदिर का ताला 1982 में प्रशासन ने लगाया था। इस घटना के बाद आसपास के इलाकों में सांप्रदायिक तनाव बढ़ गया था और मेरठ में दंगे भी भड़क उठे थे। दरअसल, 1982 में रामभोले नामक एक पुजारी की हत्या कर दी गई थी, और यह घटना मंदिर के आसपास हुई थी। हत्या के बाद मंदिर में आरती बजाने के विवाद ने स्थिति को और बिगाड़ दी, जिसके परिणामस्वरूप मंदिर बंद कर दिया गया।
कोर्ट में हिंदू पक्ष की जीत, फिर भी मंदिर बंद
इस मामले में हिंदू पक्ष ने अदालत में केस किया और उसे जीत भी मिली। कोर्ट ने आदेश दिया था कि मंदिर को खोला जाए और पूजा शुरू की जाए, लेकिन इस आदेश के बावजूद मंदिर अब भी बंद पड़ा है। इसके पीछे कारण यह बताया जाता है कि मामले में जिन हिंदू पक्ष के लोग ने अदालत में याचिका दायर की थी, वे अब इस दुनिया में नहीं रहे। इस कारण से मंदिर का जीर्णोद्धार या उद्घाटन नहीं हो सका।
हिंदू पक्ष की अपील: जीर्णोद्धार की मांग
अब मंदिर के आसपास रहने वाले हिंदू समुदाय के लोग चाहते हैं कि इस ऐतिहासिक मंदिर का जीर्णोद्धार किया जाए और फिर से यहां पूजा-अर्चना शुरू हो। लोगों का मानना है कि अयोध्या और संभल जैसे अन्य स्थानों पर जो बंद पड़े मंदिर खोले गए हैं, उसी तरह इस मंदिर का भी पुनर्निर्माण हो। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भी अपील की है कि इस मंदिर को फिर से चालू किया जाए।
संभल की तरह खंडहर में तब्दील हुआ पीपलेश्वर मंदिर
मेरठ का पीपलेश्वर शिव मंदिर ठीक वैसे ही खंडहर में तब्दील हो चुका है, जैसे संभल का प्रसिद्ध प्राचीन शिव मंदिर। संभल में भी प्रशासन ने मंदिर में ताला लगाया था और वही स्थिति अब पीपलेश्वर शिव मंदिर में भी है। दोनों ही मंदिरों का हाल अब एक जैसा हो चुका है, जहां लोग अपने अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहे हैं, लेकिन किसी ने इन मंदिरों के जीर्णोद्धार के लिए गंभीर प्रयास नहीं किए हैं।
आखिरकार, क्या होगा इस ऐतिहासिक मंदिर का?
पीपलेश्वर शिव मंदिर की स्थिति को देखते हुए यह सवाल उठता है कि क्या यह मंदिर कभी अपने पुराने वैभव को फिर से प्राप्त करेगा? क्या प्रशासन इस ओर ध्यान देगा और इस ऐतिहासिक स्थल का पुनर्निर्माण करेगा? फिलहाल, मंदिर बंद है और इसके आसपास के लोग बस एक चमत्कार की उम्मीद लगाए बैठे हैं। इस पुरानी कड़ी को जोड़ने और इसके महत्व को फिर से स्थापित करने के लिए किसी बड़े कदम का इंतजार है।