जमशेदपुर। झारखंड के शिक्षा एवं मद्य निषेध मंत्री जगरनाथ महतो का गुरुवार को निधन हो गया। पिछले कई महीनों से बीमार चल रहे जगरनाथ महतो ने चेन्नई में अंतिम सांस ली। उनके निधन पर भाजपा झारखंड प्रदेश प्रवक्ता सह पूर्व विधायक कुणाल षाड़ंगी ने शोक व्यक्त करते हुए उनके निधन को व्यक्तिगत क्षति बताया। गुरुवार को कुणाल ने सोशल मीडिया के माध्यम से पोस्ट साझा करते हुए लिखा कि चाचा जगरनाथ महतो के निधन की दुःखद खबर से स्तब्ध हूँ। उन्होंने लिखा कि ईश्वर के सामने किसी की नहीं चलती है लेकिन छोटी-छोटी समस्याओं से घबराकर जहाँ आजकल के युवा इतने-इतने बड़े निर्णय ले लेते हैं उसी समय में इतनी गंभीर बीमारी से लड़कर हर बार शानदार वापसी करने वाले जिंदादिल व्यक्ति का इस तरह चले जाना अत्यंत दुखदायी है। जगरनाथ महतो के साथ अपनी पुरानी यादों को साझा करते हुए कुणाल षाड़ंगी ने कहा कि मुझे याद है जब हम सुबह सुबह उठकर पाँच बजे शून्य काल में प्रश्न डालने के लिए विधानसभा जाते थे। वे चैंपियन थे शून्य काल के। हम पर मजाकिए लहजे में ताने कसते थे कि तुम लोग युवा हो तो मुझसे पहले उठकर शून्य काल श्रेणी में प्रश्न डालकर दिखाओ।
किसी भी समय किसी से भी मिलकर उसकी बातों को सुनना, समझना और उसकी समस्या को दूर करने की हर संभव कोशिश करना उनका परिचय था। कई बार विधानसभा के किसी सत्र में जब हमें पार्टी के कोटे से बोलने की व्यवस्था होती थी वह अपना भाषण थोड़े से कम समय में समाप्त कर देते थे ताकि नए सदस्यों को ज़्यादा बोलने का मौक़ा मिल सके। हमेशा मज़ाक के लहजे़ में करते थे कि तुम लोग देर रात तक सोशल मीडिया पर लगे रहते हो मुझे भी ट्विटर और फ़ेसबुक अच्छे से चलाना सीखा दो ना। एक बार किसी अंग्रेज़ी अख़बार की पत्रकार थी वह सत्र के दौरान विधानसभा के बाहर उनसे अचानक फर्राटेदार अंग्रेज़ी में सवाल करने लगी। मैं बग़ल से गुजर रहा था। बोले थोड़ा अच्छे से अनुवाद कर दो कुणाल और फिर गजब के प्रभावशाली ढंग से उसके प्रश्नों का जवाब दिया था।
कुणाल षाड़ंगी ने बताया कि न जाति, न उम्र, न दलीय आधार और न किसी और पैमाने पर किसी के साथ भी अपने व्यवहार को न बदलने की मानसिकता उन्हें आज के राजनीतिज्ञों में एक अलग स्थान देती है। उनमें हमेशा सीखने और पहले से कुछ बेहतर करने की सोच विद्यमान रही। कोविड काल में गंभीर रूप से बीमार होने के बाद भी अपनी इच्छाशक्ति और अपने सामाजिक एवं संवैधानिक ज़िम्मेदारियों के प्रति उनका दायित्व बोध उन्हें वो ताक़त देता था कि वे हमेशा बीमारी को परास्त कर पाते थे। हमेशा झारखंडी विषयों के प्रति संवेदनशील रहने वाले ‘टाईगर’ चाचा से मतांतर होते थे लेकिन मनांतर कभी नहीं होता था। उनका असमय जाना झारखंड की राजनीति और सामाजिक पृष्ठभूमि के लिए बहुत बड़ी क्षति है और मेरे लिए एक व्यक्तिगत क्षति है जिसकी भरपाई आने वाले निकट भविष्य में लगभग असंभव होगी। दिवंगत आत्मा की शांति की प्रार्थना करते हुए कुणाल षाड़ंगी ने कहा कि उनका शरीर भले झारखंड व दुनिया से चला गया हो लेकिन हम सबके दिलों में और करोड़ों झारखंडियों की दुआओं में टाइगर हमेशा जिंदा है और हमेशा जिंदा रहेगा। कुणाल षाड़ंगी ने जगरनाथ महतो के शोक संतप्त परिवारजनों के प्रति संवेदना व्यक्त की है।