जमशेदपुर : नारायण प्राईवेट आईटीआई संस्थान में स्वतंत्र सेनानी बीर चंद्रशेखर आजाद एवं बाल गंगाधर तिलक की जयंती मनाई गई। इस शुभ अवसर में संस्थान के संस्थापक डॉक्टर जटाशंकर पांडे एवं संस्थान के सभी अनुदेशक के द्वारा चित्र पर श्रद्धा सुमन अर्पित किया गया। इस अवसर पर संस्थान के संस्थापक डॉक्टर जटाशंकर पांडे जी ने उनके व्यक्तिगत जीवनी का परिचय कराते हुए उन्होंने कहा कि आजाद प्रखर देशभक्त थे। काकोरी काण्ड में फरार होने के बाद से ही उन्होंने छिपने के लिए
साधु का वेश बनाना बखूबी सीख लिया था और इसका उपयोग उन्होंने कई बार किया। एक बार वे दल के लिये धन जुटाने हेतु गाज़ीपुर के एक मरणासन्न साधु के पास चेला बनकर भी रहे ताकि उसके मरने के बाद मठ की सम्पत्ति उनके हाथ लग जाये। परन्तु वहाँ जाकर जब उन्हें पता चला कि साधु उनके पहुँचने के पश्चात् मरणासन्न नहीं रहा अपितु और अधिक हट्टा-कट्टा होने लगा तो वे वापस आ गये। प्राय: सभी क्रान्तिकारी उन दिनों रूस की क्रान्तिकारी कहानियों से
अत्यधिक प्रभावित थे आजाद भी थे लेकिन वे खुद पढ़ने के बजाय दूसरों से सुनने में ज्यादा आनन्दित होते थे। एक बार दल के गठन के लिये बम्बई गये तो वहाँ उन्होंने कई फिल्में भी देखीं। उस समय मूक फिल्मों का ही प्रचलन था अत: वे फिल्मो के प्रति विशेष आकर्षित नहीं हुए। मुख्य रूप से उपस्थित थै फिटर के अनुदेशक भगत लाल तेली, शांतिराम महतो, पवन कुमार महतो, अजय कुमार मंडल, गौरव कुमार महतो आदि मौजूद थे।