जमशेदपुर। टाटा मोटर्स वर्कर्स यूनियन के स्थायीकरण का मामला लटकाने के आरोपों पर टेल्को वर्कर्स यूनियन के नेता हर्षवर्धन ने शुक्रवार को पलटवार किया। उन्होंने कहा कि प्रबंधन का कथन कानून नहीं है। अगर प्रबंधन सारे काम कानून के मुताबिक ही करता तो मुंबई हाईकोर्ट उसके खिलाफ फैसला नहीं देता। यूनियन चाहती है कि प्रबंधन पुराने ग्रेड पर बैक वेजेज के साथ बाईसिक्स कर्मचारियों को यथाशीघ्र स्थायी करे। इस मसले पर प्रबंधन और यूनियन की नीयत ठीक थी तो मुंबई हाईकोर्ट के फैसला के दो वर्ष बाद भी क्यों नहीं स्थायीकरण किया गया। टेल्को यूनियन ने अफसर जावेद के मामले का समर्थन किया है। जबकि नियम यह है कि किसी भी निबंधित यूनियन के समर्थन से व्यक्तिगत विवाद
• मुबई हाईकोर्ट के फैसले के बाद भी कार्रवाई नहीं – टेल्को वर्कर्स यूनियन
नेता ने किया पलटवार औद्योगिक विवाद में बदल जाता है। उन्होंने सवाल किया कि यदि मुंबई हाईकोर्ट में और झारखंड हाईकोर्ट में पार्टी होना, वार्ता में शामिल होने का आधार है, तो टाटा मोटर्स यूनियन कौन सी पार्टी थी। फिर टाटा मोटर्स प्रबंधन उससे बात करने के लिए क्यों तैयार है। उन्होंने यूनियन का निबंधन रद्द होने के सवाल पर कहा कि बिहार के ट्रेड यूनियन रजिस्ट्रार के आदेश पर पटना हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है। दूसरी यूनियन को निबंधन संख्या 98 आवंटित करने पर उन्होंने कहा कि टेल्को यूनियन का रजिस्ट्रेशन रह करने का आदेश 2017 में हुआ।