जमशेदपुर : टाटा मोटर्स वर्कर्स यूनियन कौन होती है जो बाई – सिक्स कर्मचारियों के लिए किसी तरह का समझौता करें। बाम्बे हाईकोर्ट के आदेश की तर्ज पर झारखंड हाईकोर्ट ने भी टाटा मोटर्स कंपनी में चल रहे अनुचित श्रमाभ्यास (अनफेयर लेबर प्रैक्टिस) को देखते हुए सभी 2700 बाई – सिक्स कर्मचारियों को एक साथ स्थायी करने का आदेश दिया है, इस पर त्रिपक्षीय समझौता कहां से आ गया। यह कहना है बाई – सिक्स कर्मचारी अफसर जावेद का झारखंड हाईकोर्ट में केस लड़ने वाले अधिवक्ता अखिलेश श्रीवास्तव का। दैनिक जागरण से बुधवार को बातचीत के दौरान उन्होंने ये बातें कहीं। बकौल अखिलेश श्रीवास्तव, टाटा मोटर्स वर्कर्स यूनियन जिन बाई-सिक्स के लिए त्रिपक्षीय समझौता करने जा रही है, वे यूनियन के सदस्य ही नहीं है ।
कंपनी में लंबे समय से अनुचित श्रमाभ्यास हो रहा था। लेकिन किसी भी मान्यता प्राप्त यूनियन ने इसके खिलाफ न ही आवाज नहीं उठाई और न ही कभी मामले की शिकायत उप श्रमायुक्त, श्रमायुक्त या कोर्ट से की, तो अब वे किस अधिकार से समझौता कर रही है। इस तरह का समझौता पूरी तरह से असंवैधानिक है। श्रमायुक्त से लेकर प्रबंधन को देना होगा जवाब : अखिलेश श्रीवास्तव का कहना है कि यदि हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद श्रमायुक्त, प्रबंधन और यूनियन समझौता करती भी है तो उन्हें हाईकोर्ट को मामले की अद्यतन रिपोर्ट देना होगा। इन्हें जवाब देना होगा कि जब 2700 के स्थायीकरण के आदेश दिया गया था तो वे 600 या 900 को स्थायी के लिए क्यों समझौता किया।