जमशेदपुर : नारायण आईटीआई लुपुंगडीह चांडिल में गोस्वामी तुलसीदास की जयंती मनाई गई. एवं उनके तस्वीर पर श्रद्धा सुमन अर्पित किया गया इस अवसर पर संस्थान के संस्था के संस्थापक डॉक्टर जटाशंकर पांडेजी ने कहा की मध्यकालीन हिन्दी साहित्य के महान रामभक्त इव कवि थे। उन्होने रामचरितमानस और हनुमान चालीसा जैसे विश्व प्रसिद्ध ग्रंथो की रचना की है। इन्हें आदिकाव्य रामायण के रचयिता महर्षि वाल्मीकि का अवतार भी माना जाता है।तुलसीदास का जन्म हिंदू कैलेंडर माह श्रावण (जुलाई-अगस्त) के उज्ज्वल आधे, शुक्ल पक्ष के सातवें दिन सप्तमीउत्तर प्रदेश के सोरों गांव मे हुआ था।
यद्यपि उनके जन्मस्थान के रूप में तीन स्थानों का उल्लेख किया गया है, २०१२ में सोरों को उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा आधिकारिक रूप से तुलसी दास का जन्मस्थान घोषित किया गया था। उनके माता-पिता हुलसी और आत्माराम दुबे थे। अधिकांश स्रोत उन्हें भारद्वाज गोत्र (वंश) के सनाढ्य ब्राह्मण के रूप में पहचानते हैं।किंवदंती है कि तुलसीदास का जन्म बारह महीने गर्भ में रहने के बाद हुआ था, जन्म के समय उनके मुंह में सभी बत्तीस दांत थे, उनका स्वास्थ्य और रूप पांच साल के लड़के जैसा था, और वह अपने जन्म के समय रोए नहीं बल्कि राम का उच्चारण किया । इसलिए उनका नाम रामबोला (शाब्दिक रूप से, वह जिसने राम का उच्चारण किया ) रखा, जैसा कि तुलसीदास स्वयं विनय पत्रिका में बताते हैं।
मूल गोसाईं चरित के अनुसार , उनका जन्म अभुक्तमूल नक्षत्र के तहत हुआ था, जो हिंदू ज्योतिष के अनुसार पिता के जीवन के लिए तत्काल खतरा पैदा करता है। उनके जन्म के समय अशुभ घटनाओं के कारण, उन्हें चौथी रात को उनके माता-पिता ने त्याग दिया, अपनी रचनाओं कवितावली और विनयपत्रिका में, तुलसीदास ने अपने माता-पिता द्वारा अशुभ ज्योतिषीय विन्यास के कारण जन्म के बाद उन्हें त्यागने की पुष्टि की है। इस अवसर मुख्य रूप से मौजूद रहे ऐडवोकेट निखिल कुमार, शांति राम महतो, अरुण पांडेय, देव कृष्णा महतो, पवन कुमार महतो, अजय मंडल, गौरव महतो , कृष्ण पद महतो, निमाई मंडल, आदि उपस्थित थे।