Jamshedpur : नारायण आईटीआई लुपुंगडीह चांडिल में नेताजी सुभाषचंद्र बोस की पुण्यतिथि मनाई गई एवं उनके तस्वीर पर श्रद्धा सुमन अर्पित किया गया. इस अवसर पर संस्थान के संस्थापक प्रोफेसर डॉक्टर जटाशंकर पांडे जी ने नेता जी के जीवनी पर प्रकाश डाला श्री पाण्डेय ने कहा कि नेताजी सुभाष चन्द्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 में कटक में हुआ था वे भारत के स्वतन्त्रता संग्राम के अग्रणी तथा सबसे बड़े नेता थे। द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान, अंग्रेज़ों के खिलाफ लड़ने के लिए, उन्होंने जापान के सहयोग से आज़ाद हिन्द फ़ौज का गठन किया था। उनके द्वारा दिया गया “जय हिन्द” का नारा भारत का राष्ट्रीय नारा बन गया है। “तुम मुझे खून दो मैं तुम्हे आजादी दूंगा” का नारा भी उनका था जो उस समय अत्यधिक प्रचलन में आया।भारतवासी उन्हें नेता जी के नाम से सम्बोधित करते हैं।कुछ इतिहासकारों का मानना है कि जब नेता जी ने जापान और जर्मनी से सहायता लेने का प्रयास किया था।
तो ब्रिटिश सरकार ने अपने गुप्तचरों को 1941 में उन्हें खत्म करने का आदेश दिया नेताजी की मृत्यु को लेकर आज भी विवाद है।जहाँ जापान में प्रतिवर्ष 18 अगस्त को उनका शहीद दिवस धूमधाम से मनाया जाता है वहीं भारत में रहने वाले उनके परिवार के लोगों का आज भी यह मानना है कि सुभाष की मौत 1945 में नहीं हुई। वे उसके बाद रूस में नज़रबन्द थे। यदि ऐसा नहीं है तो भारत सरकार ने उनकी मृत्यु से संबंधित दस्तावेज अब तक सार्वजनिक नहीं किए क्योंकि नेता जी की मृत्यु नहीं हुई थी। 16 जनवरी 2014 (गुरुवार) को कलकत्ता उच्च न्यायालय ने नेता जी के लापता होने के रहस्य से जुड़े खुफिया दस्तावेजों को सार्वजनिक करने की मांग वाली जनहित याचिका पर सुनवाई के लिए विशेष पीठ के गठन का आदेश दिया। इस अवसर मुख्य रूप से मौजूद रहे ऐडवोकेट निखिल कुमार, पवन कुमार महतो, कृष्ण पद महतो, अजय मंडल, देव कृष्णा महतो आदि उपस्थित थे।