नई दिल्ली : “हो” भाषा को भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल कराने की माँग के समर्थन में आदिवासी “हो” समाज युवा महासभा की ओर से राष्ट्रीय स्तर पर जंतर-मंतर नई दिल्ली में धरना-प्रदर्शन किया गया. इस माँग के समर्थन में ऑल इंडिया “हो” लैंग्वेज एक्शन कमिटि तथा विभिन्न सामाजिक संगठन के हजारों प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। धरना-प्रदर्शन कार्यक्रम में झारखंड, ओढ़िशा, पश्चिम बंगाल, असम, तेलंगना, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, तामिलनाडू एवं महाराष्ट्र जैसे अन्य राज्यों के लोगों ने भाग लिया।
विभिन्न सामाजिक संगठन के प्रतिनिधियों ने भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल कराने के समर्थन में “हो” समाज की ओर से विचार रखा । कार्यक्रम की अध्यक्षता आदिवासी “हो” समाज युवा महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री इपिल सामड ने किया । राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री सुरा बिरूला ने कार्यक्रम को सफल संचालन किया. धरना-प्रदर्शन के बाद समाज का माँग पत्र प्रधानमंत्री, भारत सरकार, गृहमंत्री, भारत सरकार और देश के राष्ट्रपति मैडम को समर्पित किया गया।
रायरंगपुर(ओड़िशा ) के विधायक जोलेन बारदा ने कहा कि समाज की माँग है कि भाषा के रूप में साठ-सत्तर लाख की आबादी से अधिक एवं बोली के रूप में करोड़ों के आस-पास आदिवासी “हो” समाज युवा महासभा और ऑल इंडिया “हो” लैंग्वेज एक्शन कमिटि प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। झारखंड राज्य में द्वितीय राजभाषा, झारखंड और ओढ़िशा सरकार से अनुशंसा, ओढ़िशा के ट्राईबल एडवाईजिरी काउंसिल से पारित, कार्मिक, प्रशासनिक एवं राजभाषा विभाग तथा एसएसटी डेवलोपमेन्ट डिपार्टमेन्ट, झारखंड एवं ओढ़िशा सरकार से “हो” भाषा को भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल कराने की विभागीय पत्रों को गृह मंत्रालय, भारत सरकार, नई दिल्ली को भेजे जाने के विभिन्न कार्यवाहियों को मंच से जानकारी दिया गया।
भाषा को लेकर सामाजिक, राजनीतिक और सांगठनिक लड़ाईयों की अवस्था तथा सामाजिक भावनाओं को धरना-प्रदर्शन कार्यक्रम में जोड़ा गया . झारखंड और ओढ़िशा के युनिवर्सिटी, कॉलेज तथा स्कूलों में “हो” भाषा व इसके वारंगक्षिति लिपि की स्वीकृति, मान्यता तथा पढ़ाई को लेकर विभिन्न वक्ताओं ने प्रदर्शन में जिक्र किया। इस कार्यक्रम को झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन के प्रतिनिधि सरयकेला खरसावां के जिला परिषद अध्यक्ष सोनाराम बोदरा थे, रामराई मुन्दुईया, लक्ष्मीधर सिंह तियु, गब्बर सिंह हेम्ब्रम, लखीराम हेम्ब्रम, जगन्नाथ केराई, केके जामुदा, शिवशंकर कांडेयांग, विनय पुरती, डॉ मनोज कोड़ा, शांति सिदु, विनय पुरती, मनोरंजन तिरिया, बाबुराम सोय आदि लोगों ने संबोधित किया।
समाज के लोगों ने हो भाषा को मान्यता नहीं तो वोट नहीं का जोरदार नारेबाजी के साथ भारत सरकार से “हो” भाषा को भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल कराने की माँग रखी. इस कार्यक्रम को सफल बनाने में नन्दलाल गागराई, डॉ बलभद्र बिरूवा, रूपेश बिरूली, गंगाराम गागराई, गिरिश चंद्र हेम्ब्रम, गोपी लागुरी, शंकर चातोम्बा, बबलु बिरूवा, शंकर सिदु, रूपसिंह देवगम, माधो कोन्गकेल, सोनाराम चांपिया, सोमय पुरती, बसंत बिरूली, गंगाराम हेम्ब्रम, रोशन पुरती, शिव हांसदा आदि लोगों का योगदान था।