RANCHI : भजंत्री को लेकर विपक्ष, सरकार और चुनाव आयोग के बीच त्रिकोणीय विवाद छिड़ गया है। एक तरफ सरकार है जो भजंत्री के भजन गा रही है, तो दूसरी तरफ बीजेपी हाइकोर्ट के आदेश की अवहेलना का आरोप लगा रही है। वहीं मामले का तीसरा पहलु यह है कि केन्द्रीय चुनाव आयोग ने राज्य के मुख्य सचिव को पत्र लिख 15 दिनों में जवाब मांगा है। उनकी पोस्टिंग को हाइकोर्ट के आदेश का उल्लंघन बताया है। सवाल यह उठाये जा रहे हैं कि आखिर हेमंत सोरेन सरकार ने ठीक चुनाव के पहले मंजूनाथ भजंत्री का रांची के डीसी क्यों बनाया? ऐसा नहीं है कि भजंत्री पर सरकार पहली बार मेहरबान हुई है। इसके पहले भी देवघर के डीसी के पद पर रहते हुए लोकसभा चुनावों में उनपर इल्जाम लगे थे कि वह डीसी रहते हुए चुनाव को प्रभावित कर सकते हैं। उसके बाद चुनाव आयोग ने छह दिसंबर, 2021 को आदेश जारी कर देवघर के तत्कालीन उपायुक्त मंजूनाथ भजंत्री को पद से हटाने की विभागीय कार्यवाही करने और आयोग की अनुमति के बिना चुनाव कार्य से जुड़े पद पर पदस्थापित नहीं करने का आदेश दिया था।
बता दें कि चुनाव आयोग ने अपने पत्र में लिखा है कि मधुपुर उपचुनाव में तत्कालीन डीसी ने आयोग के वोटर टर्न आउट एप और प्रेस कांफ्रेंस में अलग-अलग आंकड़ा पेश करने की वजह से उन्हें 26 अप्रैल, 2021 को उपायुक्त के पद से हटा दिया गया था लेकिन आचार संहिता समाप्त होने के बाद सरकार ने उन्हें फिर से देवघर डीसी के पद पर पदस्थापित करने का आदेश दिया था। इसके करीब छह माह बाद मुख्य निर्वाची अधिकारी (CEO) ने आयोग को रिपोर्ट भेजी थी।
यहां याद दिला दें कि मधुपुर उपचुनाव में तत्कालीन डीसी ने आयोग के वोटर टर्न आउट एप और प्रेस कांफ्रेंस में अलग-अलग आंकड़ा पेश करने को लेकर चुनाव आयोग ने छह दिसंबर, 2021 को मंजूनाथ भजंत्री को उपायुक्त के पद से हटाने का आदेश दिया था। मंजूनाथ भजंत्री ने आयोग के आदेश को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट में याचिका (5716/22) दायर की थी। मंजूनाथ भजंत्री ने याचिका में चुनाव आयोग के आदेश को नियम के विरुद्ध बताया था। सिंगल बेंच ने भजंत्री की याचिका को स्वीकार कर ली। इसके बाद आयोग ने सिंगल बेंच के फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट में एलपीए (244/24) दायर की।