RANCHI : झारखंड में हेमंत सोरेन सरकार का गठन हो चुका है. अब कल यानी 12 दिसंबर को हेमंत सरकार विधानसभा में फ्लोर टेस्ट के लिए उतरने वाली है. हालांकि मंत्रियों के शपथ के बाद हेमंत कैबिनेट के मंत्री एक्शन मोड में नजर आ रहे हैं. सरकार लगातार राज्य में विकास कार्यों के लेकर चिंतन कर रही है. इसी बीच राज्य के शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन ने राज्य की शिक्षा व्यवस्था में सुधार लाने और गुणवत्तापूर्ण बनाने के लिए कई अहम फैसले लिए हैं.
स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के मंत्री रामदास सोरेन ने मंगलवार को विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक कर विभाग द्वारा संचालित योजनाओं की जानकारी ली. इस मौके पर उन्होंने कहा कि बच्चों को मातृभाषा में पढ़ाई कराने की दिशा पर विभाग काम करे.मंत्री ने कहा कि जिस जनजातीय व क्षेत्रीय भाषा की लिपि उपलब्ध है, उसमें पढ़ाई के लिए प्रस्ताव तैयार किया जाए. विधानसभा सत्र के बाद वे इसे लेकर फिर बैठक कर अंतिम निर्णय लेंगे.
मंत्री ने बैठक में शिक्षकों की नियुक्ति पर जोर देते हुए कहा कि शिक्षकों की नियुक्ति में जो भी विधिक अड़चनें हैं उन्हें दूर करते हुए शीघ्र रिक्त पदों पर नियुक्ति करें.उन्होंने यह भी कहा कि हेमंत सोरेन की पिछली सरकार ने जो भी निर्णय लिए थे तथा जो घोषणाएं की थीं, उनका अनुपालन शीघ्र हो। मंत्री ने पारा शिक्षकों, बीआरपी-सीआरपी, कस्तूरबा विद्यालयों की शिक्षिकाओं की समस्याओं के भी शीघ्र समाधान के निर्देश दिए.
स्कूली छात्रों को मिलेंगे ये लाभ
मंत्री ने स्कूली छात्रों के लिए आदेश देते हुए पदाधिकारियों से कहा कि पोशाक, किट, साइकिल आदि शीघ्र उपलब्ध कराए .इससे पहले अधिकारियों ने पावर प्रजेंटेशन के माध्यम से शिक्षा विभाग तथा झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद द्वारा संचालित योजनाओं तथा उनकी प्रगति की जानकारी दी।
मंत्री रामदास सोरेन ने कहा कि स्कूल में शिक्षक रहेंगे, तभी बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल सकेगी। शिक्षा क्षेत्र में हर दिन बदलाव हो रहे हैं और नई-नई चीजें आ रही है। इसलिए, शिक्षकों का दक्ष होना जरूरी है। शिक्षकों की क्षमता बढ़ाने के लिए उनका नियमित प्रशिक्षण कराया जाए और नई जानकारियों से उन्हें अवगत कराया जाए.
खोले जाएंगे बंद स्कूल
पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास सरकार के कार्यकाल में जिन स्कूलों के मर्ज कर बंद कराए गए थे. इन मर्ज किये गए विद्यालयों को शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन द्वारा पुनः खोले जाने के निर्णय लिया गया है. उन्होने कहा बंद विद्यालय खुलने से बच्चों को उनके आवास के निकट ही पठन पाठन की सुविधा मिलेगी एवं शत प्रतिशत बच्चे विधालय से जुड़ सकेंगे। क्षेत्रीय भाषा अथवा अपनी मातृभाषा में पढ़ाई की व्यवस्था सुनिश्चित किये जाने की पहल से आर टी ई 2009 का अनुपालन करने की दिशा में ठोस कदम साबित होगा। इसके साथ ही झारखंड राज्य उर्दू शिक्षक संघ शिक्षा मंत्री से अपेक्षा रखती है कि जल्द ही वे शिक्षा एवं शिक्षक हित में ठोस कदम उठायेंगे।