रांची। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य के सहायक आचार्य (शिक्षक) नियुक्ति को लेकर महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। झारखंड हाईकोर्ट के उस आदेश को निरस्त कर दिया है, जिसमें सीटेट पास और पड़ोसी राज्य के टेट पास झारखंड के अभ्यर्थियों को परीक्षा में शामिल होने का निर्देश दिया था।हाईकोर्ट के इस आदेश को जेटेट पास अभ्यर्थियों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। सितंबर माह में सुनवाई पूरी होने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। आज इस पर बड़ा फैसला आया है।
जस्टिस जेके माहेश्वरी और जस्टिस राजेश बिंदल की खंडपीठ ने यह फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल अप्रैल में झारखंड सरकार और जेएससीसी को सुप्रीम कोर्ट की अनुमति के बिना परिणाम प्रकाशित करने पर रोक लगा दिया था। जेएसएससी ने सहायक आचार्य के 26001 पदों पर नियुक्ति के लिए परीक्षा ली थी। हाईकोर्ट के आदेश पर इस परीक्षा में सीटेट पास अभ्यर्थी भी शामिल हुए थे। इस संबंध में परिमल कुमार और अन्य की ओर से हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी।
इस याचिका में कहा गया था कि सहायक आचार्य नियुक्ति नियमावली 2022 एवं सहायक आचार्य परीक्षा के विज्ञापन को हाईकोर्ट में चुनौती नहीं दी गई थी। उक्त परीक्षा के लिए आवेदन करने की तिथि समाप्त हो चुकी थी। उसके बाद झारखंड हाईकोर्ट के आदेश का पालन करते हुए नियमावली एवं उक्त परीक्षा के विज्ञापन में संशोधन कर दिया गया। नियमों के अनुसार एक बार विज्ञापन जारी हो जाने के बाद विज्ञापन में बदलाव नहीं किया जा सकता।
राज्य सरकार की ओर से कहा गया था कि सहायक आचार्य की परीक्षा नियमानुसार ली गई है। अब परिणाम प्रकाशित होना बाकी है।प्रार्थी की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरीय अधिवक्ता गोपाल शंकर नारायण, अमृतांश वत्स और साहिल बलेख ने सुप्रीम कोर्ट में बताया गया था कि आरटीई की धारा 23 (2) और नियम दस के अनुसार राज्य की शिक्षक नियुक्ति में वहां के टेट पास अभ्यर्थियों को शामिल किया जाना है।
ताकि शिक्षक वहां की भाषा, संस्कृति और रीति रिवाज के अनुसार बच्चों को पढ़ाएंगे। झारखंड की क्षेत्रीय भाषा संताली, खोरठा आदि का ज्ञान जेटेट अभ्यर्थियों के पास है। क्योंकि उन्होंने इसकी परीक्षा दी है।लेकिन सीटेट अभ्यर्थियों के पास क्षेत्रीय भाषा के रूप में हिंदी या अंग्रेजी विषय का ही ज्ञान है। जब सीटेट शिक्षकों की नियुक्ति झारखंड के प्राथमिक स्कूलों में होगी, तो उन्हें झारखंड के स्थानीय भाषा में बच्चों को शिक्षा देने में परेशानी होगी।
