JHARKHAND : भारत में हाई-स्पीड ट्रैवल का सपना अब टाटा से रांची के बीच हाइपरलूप प्रोजेक्ट के साथ साकार होनेवाला है. जी हां, झारखंड में परिवहन के क्षेत्र में एक नया इतिहास लिखा जा रहा है. टाटा स्टील और आईआईटी मद्रास के सहयोग से शुरू हुई हाइपरलूप परियोजना ने हाल ही में अपने सफल परीक्षण के साथ सुर्खियां बटोरीं. इस परियोजना के तहत रांची से टाटा (जमशेदपुर) की 135 किलोमीटर की दूरी को महज 20 मिनट में तय करने का दावा किया जा रहा है. यह हाई-स्पीड तकनीक न केवल समय बचाएगी, बल्कि झारखंड को तकनीकी नक्शे पर भी मजबूत करेगी.
हाइपरलूप क्या है?
हाइपरलूप एक अत्याधुनिक परिवहन तकनीक है, जिसमें वैक्यूम ट्यूब के अंदर कैप्सूल 1000 किलोमीटर प्रति घंटे से अधिक की रफ्तार से चलते हैं. इसकी खासियत यह है कि इसमें हवा का प्रतिरोध और घर्षण शून्य होता है, जिससे यात्रा बेहद तेज और ऊर्जा-कुशल होती है. आईआईटी मद्रास ने हाल ही में 422 मीटर लंबे टेस्ट ट्रैक पर इसका सफल परीक्षण किया, जिसे रेल मंत्रालय का भी समर्थन प्राप्त है.
रांची-टाटा रूट का महत्व भी जान लें
रांची और टाटा के बीच का यह रास्ता झारखंड का व्यस्ततम मार्गों में से एक है. रोजाना हजारों लोग काम, व्यापार और शिक्षा के लिए इस दूरी को तय करते हैं, जिसमें आमतौर पर 2.5 से 3 घंटे लगते हैं. हाइपरलूप के जरिए यह समय घटकर 20 मिनट हो जाएगा, जो स्थानीय अर्थव्यवस्था और कनेक्टिविटी के लिए क्रांतिकारी साबित हो सकता है.
भविष्य की संभावनाएं क्या हैं?
विशेषज्ञों का मानना है कि यह परियोजना सफल हुई तो झारखंड में पर्यटन, उद्योग और रोजगार को बढ़ावा मिलेगा. राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री रघुबर दास का यह सपना अब हकीकत के करीब पहुंचता दिख रहा है. हालांकि, लागत और बुनियादी ढांचे के विकास पर अभी काम जारी है.
रांची से टाटा की दूरी को 20 मिनट में तय करने वाली यह हाइपरलूप परियोजना भारत के परिवहन भविष्य की झलक है. क्या यह सपना सच होगा? इसके लिए नजरें अब अगले चरण के परीक्षणों पर टिकी हैं.
