JHARKHAND : डीजीपी अनुराग गुप्ता ने सभी रेंज आईजी, डीआईजी, एसएसपी और एसपी के साथ अहम समीक्षा बैठक की। बैठक में महिला सुरक्षा को लेकर कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर चर्चा की गई और सख्त कार्रवाई के निर्देश जारी किए गए।डीजीपी ने सभी जिलों से महिला अपराध के मामलों में की जा रही कार्रवाई और पीड़िताओं को मुआवजा देने की स्थिति की जानकारी ली।
उन्होंने सभी एसपी को सख्त निर्देश दिया कि महिलाओं और बच्चों से जुड़े किसी भी आपराधिक मामले में एफआईआर दर्ज करने में कोई देरी न हो। उन्होंने कहा कि अक्सर देखा जाता है कि एफआईआर दर्ज करने में देरी की वजह से वैज्ञानिक साक्ष्य नष्ट होने का खतरा रहता है। इस समस्या से बचने के लिए थानों में तैनात निर्भय शक्ति की महिला कांस्टेबलों से भी सहयोग लेने पर जोर दिया गया।
साक्ष्यों की गुणवत्ता पर ध्यान, ताकि आरोपी न बच सके
रेप और पॉक्सो मामलों में साक्ष्यों का सही से संग्रह न होना बड़ी समस्या है। डीजीपी ने निर्देश दिए कि पीड़िता के कपड़े, घटनास्थल से मिले भौतिक और रासायनिक साक्ष्य, अंडरवियर आदि को सही तरीके से संरक्षित किया जाए। इससे आरोपी को सजा दिलाने में मदद मिलेगी।
महिला थानों को और सशक्त बनाने के निर्देश
डीजीपी ने सभी जिलों में महिला थानों को और मजबूत करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि महिला थानों को पीड़ितों के प्रति संवेदनशील और सहानुभूतिपूर्ण रवैया अपनाना चाहिए। महिला कॉलेज, मेडिकल कॉलेज, कोचिंग संस्थान, स्कूल, महिला हॉस्टल, मॉल आदि स्थानों पर संगठित रूप से महिला हेल्पडेस्क खोलने की भी योजना पर काम शुरू करने के निर्देश दिए गए।
जीरो एफआईआर की व्यवस्था लागू करने पर जोर
डीजीपी ने कहा है कि किसी भी महिला से संबंधित शिकायत को किसी भी नजदीकी थाने में दर्ज किया जाना चाहिए। घटनास्थल किसी अन्य क्षेत्र में होने के बावजूद आवेदन स्वीकार कर तत्काल कार्रवाई की जानी चाहिए। ऐसे मामलों में जीरो एफआईआर बनाकर संबंधित थाने को भेजने की व्यवस्था को सख्ती से लागू करने के आदेश दिए गए हैं।
महिला अपराध मामलों में साक्ष्य जुटाने पर विशेष ध्यान
डीजीपी ने कहा कि पॉक्सो, दुष्कर्म, एसिड अटैक और एससी-एसटी से जुड़े मामलों में जांच में देरी की वजह से पीड़िताओं को मुआवजा मिलने में समस्या होती है। उन्होंने जोर देकर कहा कि इन मामलों की समयबद्ध जांच होनी चाहिए ताकि पीड़ितों को न्याय मिल सके। उन्होंने स्पष्ट किया कि थाना प्रभारी को किसी भी महिला से जुड़ी शिकायत को यह कहकर नकारना गलत है कि मामला सही है या गलत, इसकी सच्चाई जांच के दौरान ही सामने आती है। आवेदन मिलते ही एफआईआर दर्ज करना अनिवार्य है।
