जमशेदपुर : निजी स्कूलों में फीस बढ़ोतरी और री-एडमिशन के नाम पर अधिक शुल्क वसूली का मामला विधानसभा में उठा। शिक्षा मंत्री ने ऐसे स्कूलों पर कार्रवाई की बात कही। इसके बाद जिला शिक्षा विभाग सक्रिय हुआ। विभाग ने सभी निजी स्कूलों को नोटिस जारी किया। स्कूलों को राइट टू एजुकेशन का पालन करने और झारखंड शिक्षा न्यायाधिकरण के आदेश के तहत 10% से अधिक फीस न बढ़ाने का निर्देश दिया गया।
इसके साथ ही स्कूलों से कई बिंदुओं पर जानकारी मांगी गई। पिछले तीन साल के फीस स्ट्रक्चर और ऑडिट रिपोर्ट की जानकारी देने को कहा गया। आदेश में स्पष्ट किया गया कि सभी जानकारी 3 अप्रैल तक विभाग को उपलब्ध कराई जाए। अगर स्कूल जानकारी नहीं देते हैं, तो उनका भौतिक सत्यापन कर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
पिछले साल भी शिक्षा विभाग ने स्कूलों से यह जानकारी मांगी थी। लेकिन इस पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया था।
शिक्षा विभाग ने यह आदेश भी जारी किया : स्कूल परिसर का व्यावसायिक उपयोग नहीं होगा। भवन और परिसर का उपयोग केवल शिक्षा के उद्देश्य से किया जाएगा। परिसर में किताबों या अन्य सामग्री की बिक्री नहीं होगी। स्कूल किसी विशेष विक्रेता से किताबें खरीदने के लिए बाध्य नहीं कर सकते।
कुछ स्कूलों की ऑडिट रिपोर्ट से स्पष्ट हुआ कि उनकी आय, खर्च से अधिक है। इसके बावजूद हर साल फीस बढ़ाई जाती है। इससे लगता है कि स्कूलों का संचालन लाभ कमाने के लिए किया जा रहा है।
स्कूलों को यह जानकारी देनी होगी
- पिछले तीन शैक्षणिक वर्षों (2023-24, 2024-25, 2025-26) का फीस स्ट्रक्चर।
- पिछले तीन शैक्षणिक वर्षों (2023-24, 2024-25, 2025-26) की किताबों की जानकारी।
- पिछले तीन शैक्षणिक वर्षों (2022-23, 2023-24, 2024-25) की ऑडिट रिपोर्ट।