पटना: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रगति यात्रा के दौरान बिहार का खजाना खोल दिया है. चुनावी साल होने के कारण इस यात्रा का खास महत्व है. शायद इस वजह से भी सीएम हर जिले को करोड़ों की योजना का तोहफा दे रहे. उन्होंने अब तक 16 जिले को 9686 करोड़ का तोहफा दिया है. जो जानकारी मिल रही है, उसके मुताबकि 38 जिलों में 20 से 25000 करोड़ की घोषणा करने वाले हैं।
सीएम लगाई घोषणाओं की झड़ी: प्रगति यात्रा के दौरान आने वाले दिनों में मुख्यमंत्री की तरफ से कई योजनाओं का उद्घाटन होगा और कई योजनाओं की आधारशिला रखी जाएगी. उधर, आरजेडी का दावा है कि नेता प्रतिपक्ष के ऐलान से सीएम डरे हुए हैं. हालांकि सत्ता पक्ष का कहना है कि मुख्यमंत्री जो भी घोषणा करते हैं, उसे जमीन पर उतारते हैं. वहीं, जानकारों कहना है कि चुनावी साल में घोषणा तो होती ही है. ये अलग बात है कि बजट की व्यवस्था बाद में की जाती है।
चुनावी साल में दनादन घोषणा: चुनावी साल में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार फुल फॉर्म में दिख रहे हैं. उन्होंने 23 दिसंबर को पश्चिम चंपारण से प्रगति यात्रा की शुरुआत की थी. तब से वह तीन चरणों में 16 जिलों का भ्रमण कर चुके हैं. पश्चिम चंपारण को जहां 752 करोड़ की योजनाओं का तोहफा दिया था, वहीं दरभंगा को 2000 और मधुबनी को 1100 करोड़ की सौगात दे चुके हैं. हालांकि इस दौरान मुख्यमंत्री योजनाओं उद्घाटन भी कर रहे हैं लेकिन बड़े पैमाने पर योजनाओं का शिलान्यास ही हो रहा है।
किन जिलों को क्या मिला मिला?: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 23 दिसंबर को पश्चिम चंपारण को 752 करोड़ की योजनाओं की सौगात दी. 24 दिसंबर को पूर्वी चंपारण को 201 करोड़, 26 दिसंबर को शिवहर 187 करोड़ और सीतामढ़ी को 434 करोड़ का तोहफा दिया. वहीं, 4 जनवरी को गोपालगंज में 139 करोड़, 5 जनवरी को मुजफ्फरपुर में 450 करोड़, 6 जनवरी को वैशाली में 276 करोड़, 7 जनवरी को सिवान में 109 करोड़ और 8 जनवरी को सारण में 985 करोड़ की योजनाओं की घोषणा की।
सीएम ने खोला खजाना: प्रगति यात्रा के दौरान सीएम ने 11 जनवरी को दरभंगा में 2000 करोड़, 12 जनवरी को मधुबनी को 1107 करोड़, 13 जनवरी को समस्तीपुर को 937 करोड़, 16 जनवरी को खगड़िया को 430 करोड़, 18 जनवरी को बेगूसराय 563 करोड़, 20 जनवरी को सुपौल को 298 करोड़, 21 जनवरी को किशनगंज को 514 करोड़ और 22 जनवरी को अररिया को 304 करोड़ की योजनाओं की सौगात दी।
‘तेजस्वी से डर गए हैं मुख्यमंत्री‘: बिहार की प्रमुख विपक्षी पार्टी आरजेडी ने इसे चुनावी साल में चुनावी घोषणा बताया है. प्रवक्ता एजाज अहमद ने कहा कि असल में नेता प्रतिपक्ष की ‘माई-बहिन मान योजना’ और अन्य घोषणाओं से नीतीश कुमार डर गए हैं. उन्होंने दावा किया कि 17 महीने में तेजस्वी यादव ने बतौर डिप्टी सीएम रहते जितना काम करवाया है, उतना 20 वर्षों में भी सीएम रहते भी नीतीश कुमार नहीं कर पाए. इसी वजह से अब चुनावी साल में ऐसी घोषणाएं कर रहे हैं।
“तेजस्वी यादव से मुख्यमंत्री डर गए हैं. 17 महीने उन्होंने जो काम करके दिखाया है, उससे बड़ी लकीर खींचना चाहते हैं लेकिन ऐसी घोषणा कर चुनाव के बाद वह घोषणा वाले मुख्यमंत्री के रूप में ही जाने जाएंगे. तेजस्वी यादव की 200 यूनिट फ्री बिजली, महिलाओं को ढाई हजार रुपये और सामाजिक सुरक्षा पेंशन के तहत 400 से बढ़ाकर 1500 रुपये की घोषणा से एनडीए डर गया है.”- एजाज अहमद, प्रवक्ता, आरजेडी
हर घोषणा पूरी होगी: हालांकि सत्ता पक्ष इसे चुनावी घोषणा नहीं मानता है. जेडीयू नेता और ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार कहते हैं कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की कथनी और करनी में कोई फर्क नहीं है. वह जो भी घोषणा करते हैं, उससे धरातल पर भी उतारते हैं. अभी जो भी ऐलान सरकार की ओर से हो रहे हैं, चुनाव के बाद उन सब को पूरा किया जाएगा. विपक्ष के आरोपों में कोई दम नहीं है।
“बिहार में तो असर 2019 से ही दिख रहा है. जो भी वादा होता है, उसे जमीन पर उतारने का काम किया जाता है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की कथनी और करनी में अंतर नहीं होता है. वह जो बोलते हैं, वही करते भी हैं. जो भी वादा करते हैं, उसे जमीन पर उतारते हैं.”- श्रवण कुमार, मंत्री, ग्रामीण विकास विभाग
क्या कहते हैं जानकार?: वहीं, राजनीतिक विशेषज्ञ सुनील पांडे कहते हैं कि स्वाभिक है. चुनावी साल है तो घोषणा तो होगी है. जिसकी भी सरकार रहती है, वह चुनावी साल में कई तरह की घोषणा करते ही हैं. ऐसे में नीतीश कुमार भी इसका लाभ ले रहे हैं. वह कहते हैं कि प्रगति यात्रा में सीएम जनता के बीच जा रहे हैं. जो उनकी डिमांड है, उसे भी पूरा करने की कोशिश कर रहे हैं. हालांकि यह अलग बात है कि प्रजातंत्र में पहले घोषणा होती है और फिर उसके बाद बजट तैयार होता है।