Loktantra savera News (Health Desk) : देश में कोरोना संक्रमण के मामलों में भले ही लगातार कमी देखी जा रही है, लेकिन पिछले कुछ महीनों से देश के कई राज्यों में डेंगू के बढ़ते मामलों के साथ कुछ दिनों से जीका वायरस ने भी नई चिंता को जन्म दिया है। उत्तर भारत और खासकर उत्तर प्रदेश में जीका वायरस के मामले जिस तेजी के साथ सामने आए हैं, उससे चिंता का माहौल बनना स्वाभाविक है। उत्तर प्रदेश के कानपुर, कन्नौज, लखनऊ, मथुरा सहित कई जिलों में जीका वायरस के मामले सामने आए हैं और अब फतेहपुर जिले में भी जीका वारयस का केस सामने आने के बाद वहां स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मचा है। उत्तर प्रदेश का कानपुर जिला तो जीका वायरस और डेंगू का हॉटस्पॉट बना हुआ है, जहां जीका का पहला मामला 24 अक्टूबर को सामने आया था और उसके बाद से वहां पिछले करीब एक महीने में ही इसके 140 से भी अधिक मरीज सामने आ चुके हैं।
क्या है जीका वायरस
जीका वायरस रोग (जेडवीडी) एक मच्छर जनित बीमारी है, जो एडीज मच्छरों द्वारा फैलता है। वहीं मच्छर तीन अन्य वेक्टर जनित बीमारियां– डेंगू, चिकनगुनिया और पीला बुखार भी फैलाता है। यह आमतौर पर दिन के समय काटता है। जीका वायरस रोग आमतौर पर हल्का होता है और इसके लिए किसी विशिष्ट उपचार की आवश्यकता नहीं होती है। सबसे आम लक्षण हल्का बुखार, त्वचा पर लाल चकत्ते, सिरदर्द, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द और पलक के नीचे की सूजन हैं। ये लक्षण आम तौर पर 2-7 दिनों तक रहते हैं। यदि लक्षण बिगड़ते हैं, तो उन्हें चिकित्सा देखभाल और सलाह लेनी चाहिए। जीका वायरस के लिए एडीज की कई प्रजातियां जिम्मेदार हैं। इसमें से एडीज एल्बोपिक्ट्स और एडीज इजिप्टी जिसे येलो फीवर मॉस्किटो के रूप में जानते हैं इनसे जीका वायरस फैलने का खतरा रहता है।
गर्भवती महिलाओं पर ज्यादा असरदार
सामान्य तौर पर गर्भवती महिलाओं, जिनमें जीका वायरस संक्रमण के लक्षण विकसित होते हैं, को अपनी गर्भावस्था की करीबी निगरानी के लिए अपने स्वास्थ्य देखभाल प्रदाता से मिलना चाहिए। जो महिलाएं गर्भवती होने की योजना बना रही हैं उन्हें भी मच्छरों के काटने से खुद को बचाने के लिए अतिरिक्त सावधानी बरतनी चाहिए। जीका वायरस संक्रमण को रोकने के लिए मच्छरों के काटने से सुरक्षा एक महत्वपूर्ण उपाय है। मच्छरों के काटने को रोकने के लिए कीट विकर्षक का उपयोग कर सकते हैं। शरीर के अधिकांश हिस्से को लंबे और हल्के रंग के कपड़ों से ढकें। दरवाज़ों और खिड़कियों पर तार की जाली जैसी भौतिक बाधाओं का उपयोग करें और ऐसे कंटेनरों को खाली, साफ़ या ढक दें जिनमें मच्छरों के प्रजनन के लिए पानी भरा जा सके।
1947 में पाया गया वायरस
सबसे पहले इस बीमारी को Uganda में सन 1947 में बंदरों में पाया गया था, जब किसी Yellow Fever के ऊपर रिसर्च हो रही थी। मनुष्यों में ये पहली बार ये सन 1952 में Uganda और United Republic of Tanzania में पाया गया। कुछ वर्षों के बाद ऐसी बहुत सी केसेज विभिन्न महादेशों जैसे अफ्रीका, अमेरिका, एशिया और पेसिफिक में पाया गया. 1960 से 1980 के दौरान इंसानों में ये एशिया और अफ्रीका में देखा गया, जिसमे इंसानों को हल्की बुखार से पीड़ित पाया गया।
जीका वायरस के लक्षण
जीका विषाणु संक्रमण को फैलने में ज्यादा समय तो लगता नहीं है। ये कुछ ही दिनों में पूरे शरीर में फैल जाता है और मरीज़ इससे पीड़ित हो जाता है। इसके लक्षण डेंगू के जैसे ही हैं, जैसे की बुखार आना, स्किन रैशेज, मसल और जोड़ों में दर्द होना और सिरदर्द होना। इसके लक्षण ज्यादा गंभीर नहीं होते और आम तोर से 2-7 दिन तक ही रहते हैं। इसमें बेचेनी, लाल चखते (Exanthema) और आखें लाल (Conjunctivis) हो जाती है , आखोँ से पानी निकलने लगता है। यह व्यक्ति के शरीर मे डेंगू, चिकनगुनिया या पीले बुखार के रूप मे होता है। इसमें नवजात शिशु का मास्तिष्क और सिर सामान्य से आकार में छोटा होगा। जीका वायरस के संक्रमण के बाद लोगों में गुइलेन बैरे सिंड्रोम एक गंभीर ऑटोइम्यून डिसऑर्डर होने की खबरें सामने आई हैं, जो सेंट्रल नवर्स सिस्टम को प्रभावित करता है।
क्या है इसका इलाज
फिलहाल जीका का कोई इलाज नहीं है। लेकिन इसके लक्षण दिखने वाले व्यक्ति को आराम और निर्जलीकरण को रोकने के लिए पेय पदार्थ पीने की सलाह दी जाती है। दर्द और बुखार से छुटकारा पाने के लिए पेन किलर्स लेना अच्छा है। CDC (Centers for Disease Control and Prevention) सलाह देता है कि जिन गर्भवती महिलाओं को जीका का निदान किया जाता है उन्हें हर 3 से 4 सप्ताह में भ्रूण के विकास की निगरानी करनी चाहिए। यह वायरस बहुत जल्दी दूसरे व्यक्ति तक वायरस को पहुंचाता है। इसलिए संक्रमित व्यक्ति को लक्षण दिखने के बाद करीब 3 सप्ताह तक लोगों से दूरी बनाकर रखनी चाहिए। अनसेफ शारीरिक संबंध बनाने से बचें। जिस इलाके में ये वायरस फैल रहा है वहां जाने से बचें।