नई दिल्ली:विश्व पर्यावरण दिवस, 5 जून को प्रतिवर्ष आयोजित किया जाता है। इस दिवस को मनाने के पीछे का उद्देश्य पूरी दुनिया के लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरूक करना है। इस संयुक्त राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय दिवस में 150 से अधिक देशों के लोग भाग लेते हैं। स्वच्छ वातावरण और सुरक्षित पृथ्वी बनाने के लिए तरह-तरह के जागरुकता कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं और लोगों को पर्यावरण का महत्व समझाया जाता है। इस मौके पर प्रदूषण से लेकर कई ऐसे विषयों पर चर्चा की जाती हैं जो कि पर्यावरण के लिए हानिकारक है। इस अवसर पर लोगों को पेंड़-पौधे लगाने के लिए भी प्रेरिक किया जाता है।
विश्व पर्यावरण दिवस का इतिहास
संयुक्त राष्ट्र महासभा ने साल 1972 में विश्व पर्यावरण दिवस की शुरुआत की थी। इसकी स्थापना संयुक्त राष्ट्र द्वारा 1972 में मानव पर्यावरण पर स्टॉकहोम सम्मेलन में की गई थी। पहला विश्व पर्यावरण दिवस एक साल बाद 5 जून 1973 को मनाया गया था। सम्मेलन ने पर्यावरणीय मुद्दों को उजागर करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों की शुरुआत का संकेत दिया। इस साल समारोह की 50वीं वर्षगांठ है।
विश्व पर्यावरण दिवस की थीम और मेजबानी
विश्व पर्यावरण दिवस 2023 की थीम “बीट प्लास्टिक पॉल्यूशन” है, जिसे सोशल मीडिया हैशटैग के साथ साझा किया गया है। दरअसल, लाख कोशिशों के बावजूद प्लास्टिक प्रदूषण देश में बढ़ता ही जा रहा है । पर्यावरण के अनुकूल सामग्रियों को शामिल करने और उन्हें बदलने के लिए तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता है। इस बार विश्व पर्यावरण दिवस 2023 की मेजबानी कोटे डी आइवर गणराज्य द्वारा की जा रही है, जिसे पश्चिम अफ्रीका में आइवरी कोस्ट के रूप में भी जाना जाता है। इस साल नीदरलैंड उसका भागीदार होगा। कोटे डी आइवर ने पहले ही प्लास्टिक की थैलियों पर प्रतिबंध लगा दिया है।
विश्व पर्यावरण दिवस 2023: महत्व
2 मार्च, 2022 को संयुक्त राष्ट्र के 175 सदस्य देशों ने प्लास्टिक प्रदूषण को समाप्त करने के लिए संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण सभा द्वारा अपनाए गए एक प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए। 2024 तक कानूनी रूप से समझौता तैयार किया जाएगा।
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