- 24 अगस्त को हरवे और हथियार के साथ रांची में महाजुटान का एलान
- सरकार संवैधानिक अधिकारों दे, अन्यथा आर पार की लड़ाई : पुष्कर महतो
- अनंतो प्रधान महासचिव डॉक्टर संजय गिरी बहरागोड़ा विधानसभा प्रभारी एवं हाबूलाल गोराई संयुक्त सचिव चुने गए
जमशेदपुर : झारखंड आंदोलनकारी संघर्ष मोर्चा पूर्वी सिंहभूम के तत्वावधान में शहीद निर्मल महतो- शहीद देवेंद्र मांझी व झारखंड आंदोलन के शहीदों को समर्पित करते हुए झारखंडी राष्ट्रीयता एवं पहचान के सवाल को लेकर आज जमशेदपुर बारीडीह स्थित विजया गार्डन सभागार विचार विमर्श सभा का आयोजन किया गया। साथ ही सरकार से मांग की गई कि झारखंड आंदोलनकारियों के राजकीय मान- सम्मान, अलग पहचान, रोजी रोजगार, नियोजन की गारंटी एवं सम्मान पेंशन राशि 50-50 हजार रु. दे।
चलते मानसून सत्र में झारखंड अलग राज्य के आंदोलनकारियों के मान सम्मान, अलग पहचान, सम्मान पेंशन राशि सरकार लागू किया जाए। सभा की ओर से झारखंड आंदोलनकारी अनंतो प्रधान को महासचिव एवं डॉ संजय गिरी को बहरागोड़ा विधानसभा प्रभारी व हबुलाल गोराई को संयुक्त सचिव चुना गया। आंदोलनकारियों ने सर्वसम्मति से निर्णय लिया कि झारखंड आंदोलनकारियों के जेल जाने की बाध्यता समाप्त करने, राजकीय मान- सम्मान ,अलग पहचान, समान पेंशन राशि 50-50 हजार रुपए सरकार चलते मानसून सत्र में लागू नहीं करती है तो 24 अगस्त को अलग राज्य एवं संवैधानिक मूल्यों का पालन करो महजुटान कार्यक्रम आहूत किया जाएगा।
मौके पर मुख्य अतिथि झारखंड आंदोलनकारी संघर्ष मोर्चा के संस्थापक व प्रधान सचिव पुष्कर महतो ने कहा कि झारखंड में अलग राज्य एवं संवैधानिक मूल्यों का पालन नहीं होने के कारण ही हमारी झारखंडी पहचान हाशिये पर है।
यहाँ गरीबी, बेरोजगारी, बच्चे एवं मातृ शक्ति कुपोषित है। स्वास्थ्य की जबरदस्त समस्या है, लोग सिलिकोसिस नामक बीमारी से ग्रसित है, खेतों में पानी नहीं है पलायन करने के लिए लोग मजबूर हैं। हमारी आबादी प्रत्येक दिन घटती जा रही है। जमशेदपुर मिनी भारत प्रतीत हो रहा है । यहां बंगाली, पंजाबी, गुजराती, बिहारी, ओड़िया, केरेलियन, इस्लाम धर्म व हिंदू धर्म के लोग हैं । सबकी अपनी अपनी बोली भाषा संस्कृति है राष्ट्रीय पहचान है आठवीं सूची सूचीबद्ध हैं। उन्होंने कहा कि जमशेदपुर झारखंड में रहने वाले लोगों की पहचान सस्ते मजदूर के रूप में है। जमीन देने वालों के रूप में है, रोजी- रोजगार के सवाल पर आज निर्मल महतो की हत्या होती है। रतीलाल महतो को गोली मार दी जाती है यह बिडंबना है। हजारों संघर्ष और शहादत के बाद भी के हम आज पहचान के मोहताज हैं और संघर्षरत हैं।
पदम मुकुंद नायक ने झारखंड पहचान के सवाल पर लोकगीत परदेसी बनलि निज घरे प्रस्तुत कर अपनी पीड़ा को मोबाइल फोन के द्वारा अभिव्यक्त किया।
अध्यक्ष विदेशी महतो ने कहा कि हम मिट सकते हैं लेकिन हम अपनी पहचान को मिटाने नहीं देंगे। रोजी रोजगार एवं नियोजन नीति प्रखंड स्तर पर लागू होऔर इसी के आधार पर झारखंडी पहचान सुनिश्चित किया जाए। केंद्रीय उपाध्यक्ष जितेंद्र सिंह ने कहा कि झारखंड आंदोलनकारी अपने स्वाभिमान की रक्षा की लड़ाई स्वयं लड़े। केंद्रीय संयोजिका सरोजिनी कच्छप ने कहा कि झारखंड की लड़ाई में महिलाओं को बहुत बड़ा योगदान रहा है लेकिन हमारे बेटा-बेटी बेरोजगारी का दंश झेल रहे हैं।
दक्षिणी छोटा नागपुर प्रजामंडल की अध्यक्ष श्रीमती रोजलीन तिर्की ने कहा कि झारखंड को बेहतर राज्य बनाने के लिए हम लोगों ने लड़ा था, आज झारखंड हमारा बदनाम हो रहा है ऐसा हो गया। इस बात का हमें अफसोस। गुमला जिला अध्यक्ष सीताराम उरांव ने कहा कि झारखंड आंदोलनकारी झारखंड के मान सम्मान की लड़ाई हथियार के साथ लड़े अपनी पहचान को मिटाने नहीं दे। 24 अगस्त को उलागुलन का आगाज करें। इस अवसर पर डॉ संजय गिरी ने घोषणा किया कि वे 1 साल तक झारखंड आंदोलनकारियों के परिवार का निशुल्क इलाज करेंगे।
इस मौके पर झारखंड आंदोलनकारियों का स्वागत प्रभारी अध्यक्ष शिबू काली मईती एवं संचालन विश्वजीत प्रमाणिक एवं धन्यवाद ज्ञापन नवनिर्वाचित महासचिव अनंत प्रधान कविता पाठ हराधन प्रमाणिक ने किया. इस मौके पर नेहा नवनीता, सोमारी देवी, इसरार अहमद, शंतानु गोप, राम नंदन साहू, प्रकाश उरांव, इंद्रदेव उरांव ,राजदेव महथा , पुणई उरांव, मार्शल लकड़ा, मिहिर तिवारी, आनंद कुमार महतो दुर्योधन महतो, रसराज महतो, मानिक सिंह, तरुण कुमार बेरा विश्वजीत प्रधान विवेक प्रधान, शांतनु गौड़, संजीव प्रधान, वीरेंद्र प्रधान शाहिद अन्य बड़ी संख्या में झारखंड आंदोलनकारी उपस्थित हुए।