– विश्वविद्यालय में समारोहपूर्वक याद किए गए गुरुदेव रविंद्र नाथ टैगोर
– विद्यार्थियों ने काव्य प्रस्तुति, नृत्य नाटिका और टैगोर की कृतियों पर आधारित नाटक का किया मंचन
जमशेदपुर : कुछ लोग इस धरती पर जन्म लेते हैं परंतु उनकी मृत्यु कभी नहीं होती. वे हमेशा इस धरती पर एक पुण्यात्मा की तरह रहते हैं. गुरुदेव रविंद्रनाथ टैगोर का नाम पुण्यात्माओं की इसी श्रेणी में शामिल है. उक्त बातें नेताजी सुभाष विश्वविद्यालय के डीन एकेडमिक प्रो दिलीप शोम ने कही. वे विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग की ओर से आयोजित रविन्द्रनाथ टैगोर जयंती समारोह को संबोधित कर रहे थे. कार्यक्रम में साहित्य के क्षेत्र में भारत के प्रथम नोबेल पुरस्कार से सम्मानित और भारत में साहित्य के केंद्र बिंदु गुरुदेव टैगोर को श्रंद्धाजलि अर्पित की गई. तत्पश्चात अंग्रेजी विभाग के विभिन्न सत्रों के विद्यार्थियों ने काव्य प्रस्तुति, नृत्य नाटिका और टैगोर की कृतियों पर आधारित नाटक का मंचन किया.
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए अंग्रेजी विभागाध्यक्ष प्रो खान ने कहा कि भारत की साहित्य परंपरा अत्यंत समृद्ध है. गुरुदेव ने पाश्चात्य साहित्य को भारत की स्थानीय संस्कृति से अलंकृत करते हुए भारत में साहित्य की एक देशज परंपरा का सूत्रपात किया. यह परंपरा समय के साथ और भी अधिक विकसित हुई और भारत में विश्वस्तरीय साहित्यकारों की एक नई पीढ़ी का उदय हुआ. भारत में साहित्य के क्षेत्र में योगदान के फलस्वरूप गुरुदेव रविन्द्रनाथ टैगोर का नाम कभी विस्मित नहीं होगा.
कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक प्रो मोईज अशरफ ने अपने बंगाल प्रवास के दौरान शांतिनिकेतन में बिताये दिनों को याद करते हुए कहा कि ‘शांतिनिकेतन अपने नाम के अनुरूप ही एक शांत वातावरण में स्थापित गुरुदेव की स्मृतियों को स्वयं में संजोये हुए एक प्रतिष्ठित संस्थान है. भारत में गुरुदेव की साहित्यिक धरोहर को हमें आगे बढ़ाना है. हमें चाहिए कि हम मौजूदा दौर की युवा पीढ़ी में साहित्यिक रुचि पैदा करें. कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति प्रो डॉ आचार्य ऋषि रंजन, विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्ष, संकाय सदस्य और विश्वविद्यालय के विद्यार्थी उपस्थित थे. धन्यवाद ज्ञापन अंग्रेजी विभाग के अस्सिटेंट प्रोफेसर अभिनव कुमार ने किया.