जमशेदपुर। ओडिशा के राज्यपाल एवं पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास के खिलाफ बेबुनियाद आरोप लगाने वाले कांग्रेस प्रत्याशी अजय कुमार को मानवाधिकार संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के कड़े विरोध का सामना करना पड़ रहा है। मंगलवार को जमशेदपुर में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में सामाजिक कार्यकर्ता एवं
असेम्बली ऑफ ह्यूमन राइट्स एंड जस्टिस के चैयरमैन भीष्म सिंह ने अजय कुमार की टिप्पणियों पर तीखी आपत्ति जताई। उन्होंने इसे गैरकानूनी और असंवैधानिक करार देते हुए कहा कि राज्यपाल का पद बेहद गरिमापूर्ण होता है, और इस पर इस तरह के निराधार आरोप लगाना संविधान की मर्यादा का उल्लंघन है। प्रेस वार्ता में सामाजिक कार्यकर्ता सोमेन कुमार, सुनील ओझा एवं रॉकी सिंह मौजूद थे।
भीष्म सिंह ने कहा कि अजय कुमार को यह समझना चाहिए कि राज्यपाल का पदभार संभालने वाले व्यक्तियों का प्रमुख कर्तव्य संविधान की सुरक्षा और सम्मान की रक्षा करना है। राज्यपाल पर बिना प्रमाण गंभीर आरोप लगाना न केवल एक गैर-जिम्मेदाराना हरकत है, बल्कि यह एक गंभीर अपराध की श्रेणी में आता है। उन्होंने जोर देकर कहा कि कांग्रेस प्रत्याशी को संविधान का अध्ययन करना चाहिए और संवैधानिक पदों के प्रति सम्मान का भाव रखना होगा।
भीष्म सिंह ने अजय कुमार को चेतावनी दी कि अगर उन्होंने राज्यपाल पर लगाए गए आरोपों को लेकर बिना शर्त सार्वजनिक रूप से माफी नहीं मांगी, तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई का सहारा लिया जाएगा। संविधान की धारा 361 के तहत राज्यपाल के खिलाफ इस प्रकार की अनुचित टिप्पणी और आरोपों की मनाही है, और इस धारा का उल्लंघन कानूनी कार्यवाही को बाध्य कर सकता है। सिंह ने साफ किया कि अगर अजय कुमार माफी नहीं मांगते हैं, तो संविधान की धारा 356 (1) और 356 (2) के अंतर्गत उन पर मुकदमा दर्ज कराने की प्रक्रिया आरंभ की जाएगी।
राज्यपाल रघुवर दास के जमशेदपुर आने-जाने पर हो रही टिप्पणियों को गलत बताते हुए भीष्म सिंह ने कहा कि राज्यपाल रघुवर दास लंबे समय से इस शहर के निवासी रहे हैं और विभिन्न सांस्कृतिक व धार्मिक संगठनों से उनका जुड़ाव पुराना है। उन्होंने कहा कि इस प्रकार की टिप्पणियां समाज में विभाजन और भ्रांतियां फैलाने का प्रयास मात्र हैं, जिन्हें रोका जाना चाहिए।
भीष्म सिंह ने कहा कि कांग्रेस प्रत्याशी को अपने बयान के लिए सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी चाहिए और भविष्य में इस तरह की असंवैधानिक बयानबाजी से बचना चाहिए। उन्होंने कहा कि समाज के सभी नागरिकों का कर्तव्य है कि संवैधानिक पदों के प्रति सम्मान दिखाएं।