जमशेदपुर : झारखंड में शिक्षा व्यवस्था का हाल दिन-ब-दिन बदतर होता जा रहा है। ताजा मामला बोर्ड परीक्षा में साइंस के पेपर लीक होने का है, जिसने राज्य की परीक्षा प्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। पेपर लीक होना सिर्फ एक प्रशासनिक लापरवाही नहीं, बल्कि सरकार की निष्क्रियता और भ्रष्टाचार की पोल खोलता है। अभी कुछ ही दिनों पहले जैक के अध्यक्ष का नियुक्ति हुई थी । आखिर हर एग्जाम का पेपर लीक हो जाता है चाहे हो CGL का हो या मीट्रिक , आखिर सरकार कोई भी एग्जाम कदाचार मुक्त क्यों नहीं करवा पा रही?
आखिर क्यों हर परीक्षाओं में गड़बड़ी सामने आती है? क्यों अब तक दोषियों पर सख्त कार्रवाई नहीं होती? यह स्पष्ट संकेत है कि झारखंड सरकार और शिक्षा विभाग अपनी जिम्मेदारियों से भाग रहे हैं।
शिक्षा मंत्री की भूमिका भी सवालों के घेरे में है। क्या उनकी जिम्मेदारी केवल भाषण देने तक सीमित है? जब छात्र अपना भविष्य बनाने के लिए मेहनत कर रहे हैं, तो उनके सपनों के साथ इस तरह का खिलवाड़ क्यों किया जा रहा है?
राज्य सरकार को इस लापरवाही की जवाबदेही लेनी होगी। जब तक भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों और इस गिरोह के सरगनाओं पर कड़ी कार्रवाई नहीं होती, तब तक झारखंड की शिक्षा व्यवस्था यूं ही मजाक बनती रहेगी। अब समय आ गया है कि सरकार जवाब दे – आखिर कब तक छात्र और उनके अभिभावक इस लापरवाही की कीमत चुकाते रहेंगे?
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