- भूवैज्ञानिक पीएन बोस की खोज ने जेएन टाटा के उड़ान को दिये पंख, 2012 में कंपनी की चिमनी से निकला धुआं
जमशेदपुर : भूवैज्ञानिक पीएन बोस की एक खोज ने लौहनगरी जमशेदपुर में स्टील उद्योग की स्थापना का मार्ग प्रशस्त किया था. यह वह समय था जब (जेएन टाटा ) टाटा परिवार स्टील उत्पादन के लिए कंपनी लगाने और कच्चे माल की उपलब्धता के साथ बड़े बाजार की तलाश कर रहा था. उनकी राह पीएन बोस ने आसान की और इस तरह टिस्को के जमशेदपुर कालीमाटी) में स्थापना की राह बनी.
ऐसा बताया जाता है कि दोराबजी टाटा को नागपुर की यात्रा के दौरान एक संग्रहालय में धल्ली-राजहरा के लौह अयस्क भंडार का पता चला था हालांकि कोकिंग कोल और पानी की कमी के कारण वह स्थान स्टील उत्पादन के लिए उपयुक्त नहीं लगा. उस समय पी एन बोस, जो भारतीय भूवैज्ञानिक सेवा से रिटायर होकर मयूरभंज रियासत में प्रधान भूवैज्ञानिक बने थे ने एक मयूरभंज की गोरुमहिसानी पहाड़ियों में लौह अयस्क का भंडार खोज निकाला. उनकी यही खोज भारत के औद्योगिक इतिहास में एक मील का पत्थर साबित हुई.
पीएन बोस ने 24 फरवरी 1904 में जेएन टाटा को मयूरभंज में उच्च गुणवत्ता वाले लौह अयस्क भंडार और झरिया में कोयले की उपलब्धता की जानकारी दी. इसी जानकारी ने टाटा को साकची में टाटा आयरन एंड स्टील कंपनी शुरू करने की राह दिखायी. गोरुमहिसानी पहाड़ियों में लौह अयस्क का भंडार खोजने वाले पीएन बोस ने टाटा को स्टील प्लांट लगाने में मदद करने का वादा भी किया.
स्टील प्लांट लगाने की योजना बना रहे टाटा समूह के लिए यह सूचना काम की थी. टाटा उस समय कंपनी के लिए कच्चे माल की आसाान आपूर्ति, पानी, स्थान आदि की तलाश कर रहे थे, जिसका समाधान पीएन बोस ने किया क्योंकि यहां कच्चा माल, विक्रय की सुविधा के साथ सभी संसाधन उपलब्ध थे. इस तरह साकची के टिस्को की स्थापना का रास्ता साफ हुआ.
1906 में भारत सरकार ने भी टाटा समूह को स्टील प्लांट लगाने में पूरा सहयोग देने की बात कही. सरकार ने एक निश्चित अवधि तक स्टील खरीदने और अतिरिक्त सहायता प्रदान करने की भी गारंटी दी. इसके बाद 26 अगस्त 1907 को टिस्को को औपचारिक रूप से भारत में नींव पड़ी. लगभग 2.31 करोड़ (2,31,75,000 रुपये) की पूंजी के साथ उद्योग को पंजीकृत किया गया. स्टील प्लांट का निर्माण कार्य 1908 में शुरू हुआ और 16 फरवरी 1912 को यहां से उत्पादन शुरू हुआ.
लौहनगरी की स्थापना में पीएन बोस का बड़ा योगदान
जमशेदपुर व टाटा स्टील के स्थापना दिवस पर अगर पीएन बोस को याद नहीं किया जाये तो यह असंभव है. जमशेदपुर में टाटा स्टील एमडी आवास के सामने पीएन बोस की प्रतिमा इस बात की गवाह है कि इस शिल्पी के योगदान से ही लौहनगरी बड़े शहर के रूप में पल्लवित और पुष्पित हो सकी. भारतीय इस्पात उद्योग की नींव का पत्थर जेएन टाटा ने रखा लेकिन इतिहास की दिशा बदलने में बड़े योगदान के रूप में पीएन बाेस की भूमिका को हमेशा याद किया जायेगा.