जमशेदपुर : ADJ-2 कोर्ट, श्री आभास वर्मा की अध्यक्षता में स्टील स्ट्रिप व्हील्स लिमिटेड (SSWL) बनाम मजदूर यूनियन प्रतिनिधि राजीव पांडे केस एवं मारपीट, तोड़फोड़, आगजनी मामले की सुनवाई हुई। इस मामले में एक नया और अहम मोड़ तब आया, जब साक्षी राजकमल तिवारी द्वारा दिए गए बयान को स्वयं मजदूर नेता राजीव पांडे ने जिरह कर खंडित किया।
गवाह के बयान की विश्वसनीयता पर सवाल
- कोर्ट में चली तीखी बहस के दौरान, राजीव पांडे ने गवाह की विश्वसनीयता को लेकर कई अहम सवाल खड़े किए:
- बयान की आधिकारिकता: गवाह से पूछा गया कि उनका बयान कब, किस तारीख, किस माह और किस वर्ष दर्ज किया गया था। इससे यह स्पष्ट करने की कोशिश की गई कि क्या यह बयान जांच अधिकारी (IO) द्वारा आधिकारिक रूप से दर्ज किया गया था या नहीं।
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झूठी गवाही का आरोप: गवाह पर सीधा आरोप लगाया गया कि वे घटना के बारे में कुछ नहीं जानते और झूठी गवाही दे रहे हैं।
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घटनास्थल का ज्ञान: गवाह से घटनास्थल की भौगोलिक स्थिति के बारे में पूछा गया ताकि यह पुष्टि की जा सके कि वह वहां मौजूद थे या नहीं।
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व्यक्तिगत संबंध: गवाह से पूछा गया कि क्या वे व्यक्तिगत रूप से राजीव पांडे को जानते हैं और क्या वे उनके परिवार के बारे में जानकारी दे सकते हैं।
मजदूर संघर्ष और श्रम कानूनों पर चर्चा
- राजीव पांडे द्वारा की गई जिरह में वर्ष 2016 में हुए श्रमिक आंदोलन और उससे संबंधित कानूनी मामलों पर भी प्रकाश डाला गया:
- 9 फरवरी 2016 की हड़ताल: क्या यह सही है कि हजारों मजदूरों ने SSWL प्रबंधन के खिलाफ हड़ताल की थी और यह हड़ताल एक लिखित समझौते के बाद समाप्त हुई थी?
- श्रम कानूनों का उल्लंघन: 2016 में राजीव पांडे द्वारा दर्ज शिकायतों में SSWL प्रबंधन पर श्रम कानूनों के उल्लंघन के आरोप लगे थे। गवाह से इसकी पुष्टि करने को कहा गया।
- आरोपी कर्मचारियों का कार्यकाल: गवाह से पूछा गया कि क्या सभी आरोपी कर्मचारी 8-10 वर्षों से कंपनी में कार्यरत थे, जिससे उनकी संलिप्तता पर सवाल खड़े होते हैं।
- श्रम विभाग और DLC की भूमिका: कोर्ट में यह सवाल भी उठा कि क्या श्रम विभाग और DLC कार्यालय ने SSWL के मजदूर-विरोधी रवैये के खिलाफ कई कानूनी मुकदमे दर्ज किए थे।
न्यायपालिका पर भरोसा, जिरह जारी
मजदूर नेता राजीव पांडे ने स्वयं गवाह से जिरह करते हुए कहा कि उन्हें भारत की न्यायपालिका पर पूर्ण विश्वास है। उन्होंने कोर्ट में तथ्यों और सबूतों के आधार पर गवाह के बयान को चुनौती दी और यह साबित करने की कोशिश की कि यह मामला मजदूरों के हक से जुड़ा हुआ है।
मामले की अगली सुनवाई
कोर्ट ने इस केस में अनुसंधानकर्ता दिलीप कुमार साव की गवाही के लिए अगली तिथि निर्धारित की है। इस सुनवाई के बाद मामला एक नई दिशा में जा सकता है। यदि गवाह की गवाही अविश्वसनीय साबित होती है, तो यह मजदूर यूनियन और राजीव पांडे के पक्ष में जा सकता है।अदालत की आगामी कार्यवाही अब इस केस की स्थिति को और स्पष्ट करेगी।