- हाथी पांव से बचाव की दवाई खाई क्या?
- 10 मार्च तक बढ़ाई गई मॉप अप तिथि, 10 मार्च तक फाइलेरिया रोधी दवा का किया जाएगा वितरण
- फाइलेरिया रोधी दवा जरूर खायें ताकि फलेरिया को जड़ से समाप्त किया जा सके… जिला दण्डाधिकारी सह उपायुक्त
जमशेदपुर : समाहारणालय सभागार में आयोजित बैठक में पूर्वी सिंहभूम जिले में 10 फरवरी से 25 फरवरी तक संचालित फाइलेरिया उन्मूलन अभियान की समीक्षा जिला दण्डाधिकारी सह उपायुत्त अनन्य मित्तल द्वारा की गई । उप विकास आयुक्त अनिकेत सचान, सिविल सर्जन डॉ साहिर पाल समेत अन्य संबंधित पदाधिकारी बैठक में उपस्थित थे। गौरतलब है कि चार प्रखंड क्रमश: बोड़ाम, पटमदा, पोटका, गोलमुरी एवं जुगसलाई तथा पूरे शहरी क्षेत्र मिलाकर कुल 18 लाख 27 हजार 932 लोगों को दवा खिलाने का लक्ष्य रखा गया है। अभियान के तहत स्वास्थ्य विभाग, समाज कल्याण विभाग एवं इस अभियान से जुड़े पांच (5) एनजीओ की टीम 11 फरवरी से लोगों के घर-घर जाकर तथा कार्यस्थल में भी अल्बेंडाडोल एवं डीईसी की दवा उपलब्ध कराते हुए लोगों से सेवन सुनिश्चित करा रही है। बता दें कि राज्य सरकार द्वारा मॉप तिथि अब 10 मार्च तक बढ़ा दी गई है ऐसे में जितने भी पात्र लोग अबतक अल्बेंडाजोल व डीईसी की दवा का सेवन नहीं कर पायें है वे घर-घर वितरण के दौरान जरूर लें और सेवन करें।
जिला दण्डाधिकारी सह उपायुक्त ने अभियान की समीक्षा करते हुए इसे और व्यापक बनाने के सुझाव दिए। उन्होने कहा कि कई लोग दवा का सेवन करने से इन्कार करेंगें, उन्हें दवा का सेवन नहीं करने के दुष्परिणाम और हाथी पांव की समस्या से अवगत करायें, आवासीय सोसायटी में वहां के पदाधिकारीगण से बात करें तथा जागरूकता लाते हुए लोगों को दवा खिलायें। ग्रामीण क्षेत्रों में ईंट भट्ठा, खेती-किसानी या अन्य कार्यस्थल में व्यस्त लोगों के लिए भी उनकी दवा घर में वितरित करने के निर्देश दिए। साथ ही मॉनिटरिंग टीम को सक्रिय करते हुए घरों के औचक निरीक्षण का निर्देश दिया गया ताकि इसकी पड़ताल की जा सके कि टीम ने दवा का वितरण किया है या नहीं।
जिला दण्डाधिकारी सह उपायुक्त ने कहा कि अभियान की सफलता जनभागीदारी में ही निहित है। उन्होने सिविल सोसाइटी, विभिन्न सामाजिक, सांस्कृतिक, व्यवसायिक संस्थाएं, प्रेस प्रतिनिधि तथा अन्य सभी से अपील किया कि लोगों को डीईसी व अल्बेंडाजोल के दवा का सेवन करने के लिए जरूर प्रेरित करें ताकि जिले से फाइलेरिया का समूल उन्मूलन किया जा सके।
क्या आप जानते हैं फाइलेरिया बीमारी कितनी खतरनाक है?
फाइलेरिया को आमतौर पर हांथी पाँव के नाम से जाना जाता है। यह बीमारी मच्छर के काटने से होता है। फाइलेरिया दूसरी सबसे ज्यादा विकलांग एवं कुरूपता कराने वाली बीमारी है। यह शरीर के और भी अंगो को प्रभावित करता है (हाँथ, पैर, स्तन और हाइड्रोसील)। इसका संक्रमण अधिकतर बचपन में ही हो जाता है और बीमारी का पता चलने में 5 से 15 साल लग जाता है। हाइड्रोसील का इलाज ससमय संभव है, लेकिन शरीर के अन्य अंगों में (पैर, हाथ, स्तन) आया हुआ सूजन आम तौर पर लाइलाज होता है । पीडित व्यक्तियों को सहायता और करूणा की आवश्यकता होती है। समुदाय द्वारा तिरस्कृत नही किया जाना चाहिए । झारखंड में रहने वाले सभी 4 करोड़ लोगों को इस बीमारी का होने का खतरा है ।
साल में सिर्फ एक बार फाइलेरियारोधी दवा का सेवन
कृपया सुनिश्चित करें कि-
- दो साल के छोटे बच्चों, गर्भवती महिलाओं एवं गंभीर रूप से बीमार व्यक्तियों को यह दवा नही देना है।
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यह दवा खाली पेट नही खानी है।
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कृप्या सभी दवाईयों का सेवन एक बार में ही करें ।
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कुछ लोगों पर दवा खाने से मामूली प्रतिकुल प्रभाव हो सकता है ।
जैसे सरदर्द, उल्टी, चक्कर, बुखार, दस्त इत्यादि । जिससे घबराने की नही बल्कि खुश होने की जरूरत है, क्योकि आपके शरीर के अन्दर के कीड़े फाइलेरियारोधी दवा खाने से मर रहे है।
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