जमशेदपुर : लीडरशिप कार्यक्रम के तहत ‘युवा’ संस्था वर्णाली चक्रवर्ती के नेतृत्व में लगातार जागरुकता कार्यक्रम का आयोजन कर रही है.उसी कड़ी में मीडिया लिटरेसी के तहत ऑनलाइन फ्राॅड के प्रति ग्रामीण युवा लड़कियों को जागरुक करने के लिए बुधवार को सुंदरनगर समेकित जन विकास केंद्र में एक जागरुकता कार्यक्रम का आयोजन हुआ जिसमें वरिष्ठ पत्रकार अन्नी अमृता ने बतौर रिसोर्स पर्सन भाग लिया.अन्नी ने उपस्थित ग्रामीण युवा लड़कियों को साइबर फ्राॅड से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारियां दीं ताकि सोच समझकर मोबाइल का इस्तेमाल हो और ऑनलाइन फ्राॅड से बचा जा सके.
अन्नी अमृता ने युवा लड़कियों को संबोधित करते हुए वीडियो के माध्यम से बताया कि कैसे भ्रामक सूचनाओं की पड़ताल की जा सकती है.इससे गलत सूचना या फेक न्यूज न तो लोग फाॅरवर्ड करेंगे और न ही उसके झांसे में आएंगे.अन्नी ने लड़कियों को बताया कि मीडिया लिटरेसी आज के जमाने की मांग है..डिग्री वाली पढाई काफी नहीं है.खबरों में हम देखते हैं कि जज,डाॅक्टर जैसे पदों पर आसीन लोग भी ऑनलाइन ठगी का शिकार हो रहे हैं.ऐसे जागरुकता कार्यक्रम लगातार चलाने होगे क्योंकि अपराधी अपडेट होते रहते हैं.अन्नी ने बिंदु दर बिंदु वीडियो के माध्यम से निम्नलिखित महत्वपूर्ण जानकारियां साझा की
1-जाने अनजाने लोग फेक न्यूज फाॅरवर्ड कर देते हैं.गूगल रिवर्स इमेज और अन्य तरीकों से फेक न्यूज की पड़ताल हो सकती है.हड़बड़ाकर किसी भी सूचना को फाॅरवर्ड नहीं करना चाहिए।
2-ओटीपी किसी भी हाल में नहीं बताना है.हालांकि अब ठग ओटीपी नहीं पूछते बल्कि आपके मोबाइल का एक्सेस डाॅटएपीेेके फाइल भेजकर ले लेते हैं.भूल कर भी डाॅट एपीके(.apk) फाइल क्लिक न करें …वर्ना आपके मोबाइल का एक्सेस साइबर ठग के हाथ आ जाएगा और आपका वह खाता खाली कर सकता है.अगर एपीके फाइल क्लिक हो भी गया तो ऑनलाइन फ्राॅड से बचने के लिए तुरंत फोन को फ्लाइट मोड में डाल देना चाहिए या फैक्ट्री रीसेट कर देना चाहिए..इंटरनेट डिस्कनेक्ट होने पर ठग आपके मोबाइल का एक्सेस नहीं ले पाएगा।
3-भूल कर भी ‘टीम व्यू’ या ‘एनी डेस्क’ एप्लीकेशन डाउनलोड न करें.इससे भी साइबर ठग आपके फोन का एक्सेस प्राप्त कर लेते हैं।
4-आजकल कस्टम,पुलिस,सीबीआई या इडी के नाम से वीडियो काॅल आता है और डराकर ऑनलाइन पैसे वसूल लिए जाते हैं.यहां तक कि डरकर लोगों ने बैंक जाकर कहे गए अकाउंट पर आरटीजीएस तक किया है, मगर पुलिस को सूचित नहीं किया है.इसे ‘डिजीटल अरेस्ट’ कहा जा रहा है, जिसका शिकार जज और डाॅक्टर तक हो चुके हैं.जबकि ‘डिजीटल अरेस्ट’ जैसा कोई लीगल टर्म नहीं है.किसी भी हाल में पुलिस,सीबीआई या ईडी का अफसर बनकर किए गए वीडियो काॅल के झांसे में आकर अपनी जानकारियां साझा नहीं करनी चाहिए।
यहां याद रहे कि असली पुलिस कभी भी वीडियो काॅल करके ऑनलाइन पैसे डालने की बात नहीं कहेगी.इसलिए घबराकर कोई भी कदम नहीं उठाना है।
5-इंस्टेंट लोन एप के माध्यम से अपराधी पांच पांच लाख तक के लोन देकर जाल में फंसा लेते हैं.इंसान ‘पे’ करता रहता है मगर वह लोन पांच लाख ही रहता है.इसलिए ऐसे झांसे में नहीं आना है।
6-ऑनलाइन गेम्स के माध्यम से भी ठगी होती है, इसलिए ऐसी लत से सावधान रहें।
7–आजकल ऑनलाइन उत्पीड़न की घटनाएं बढ़ गईं हैं.बिना जाने ऑनलाइन दोस्ती न करें और न ही तस्वीरें या दूसरी जानकारियां साझा करें..कई बार फोटो को एडिट करके लोग ब्लैक मेल करते हैं.ऐसी हालत में स्थानीय थाने या साइबर थाने को सूचना देनी होगी।
8–किसी भी प्रकार के साइबर क्राइम का शिकार होने पर देशव्यापी नंबर 1930पर काॅल करें या www.cybercrime.gov.in पर शिकायत दर्ज करें.स्थानीय साइबर थाने को भी शिकायत कर सकते हैं।
आज के कार्यक्रम में ‘युवा’ से चांदमनी, अंजना देवगम और आस पास के ग्रामीण इलाकों से कविता, नमिता, चित्रा, माला, सुमित्रा, हा, मोनिका समेत बड़ी संख्या में युवा लड़कियां मौजूद थीं. लड़कियों ने बताया कि आज का यह कार्यक्रम काफी ज्ञानवर्द्धक था.अब वे अपने गांव जाकर अन्य लोगों को इस संबंध में जागरुक करेंगी।