जमशेदपुर : कहा हैं कि एक महिला मां भी होती है बहन भी और कुछ करने की ठान ले तो फिर उसे रोका भी नहीं जा सकता है। ऐसा ही जमशेदपुर के मानगो क्षेत्र के तुड़ियाबेड़ा की रहने वाली एक बच्चों की मां चोटिल होने के बावजूद कराटे प्रतियोगिता में मेडल पाने में सफल रही जिसके घर लौटने पर बस्ती वासियों ने लड्डू खिलाकर उनका स्वागत किया इस दौरान काफी संख्या में बच्चे भी मौजूद थे। ये है तुरियाबेड़ा की रहने वाली शोभा पाठक, जिसने 32 वे नेशनल कराटे चैंपियनशिप 2024, रांची के खेल गांव स्टेडियम में नवंबर 29, 30 और 1 दिसंबर को हुए प्रतियोगिता के आठवे राउंड की प्रतियोगिता में उसे ब्रॉन्ज मेडल मिला,जबकि उसका लक्ष्य गोल्ड मेडल पर था। इसे लेकर थोड़ी सी मायूसी उसे जरूर है लेकिन उसकी वजह प्रतियोगिता से कुछ दिन पूर्व चोटिल होना माना।इसे लेकर शोभा पाठक से हुई एक खास बातचीत में अपनी जीवनी के बारे में बताया कि वह टाटा स्टील कर्मी हरिद्वार पाठक की बेटी है,ढाई वर्ष की उम्र में उसके पिता का देहांत होने के बाद वह अपने मामां का घर चल गई वहीं उसका पालन पोषण हुआ। लेकिन उसका भाई सूरज पाठक ताइक्वांडो और बॉक्सिंग खेलते थे, जिसे देख उससे प्रेरणा मिली कि वह भी सेल्फ डिफेंस के लिए इसी खेल को अपनाएगी और प्रैक्टिस शुरू कर दी जब वह जमशेदपुर बिष्टुपुर स्थित विमेंस कॉलेज में इंटर में दाखिला लिया तो उसकी आशा पूर्ण रूप से जागृत हो गई । क्योंकि उसे कॉलेज में विभिन्न खेलों के लिए जिसमें कराटे और बॉक्सिंग का भी प्रशिक्षण दिया जा रहा था ,वह उस ट्रेनिंग में शामिल हो गई और 2013 में जिला स्तरीय प्रतियोगिता में उसने दो मेडल जीत कर अपने लक्ष्य की शुरुआत की।
उसके बाद उसने पीछे मुड़कर नहीं देखा लेकिन 2015 में उसका विवाह जैपनीज ट्रांसलेटर राहुल कुमार से हो जाने चेन्नई चली गई।इसे लेकर उसने कहा कि यह सौभाग्य की बात है पति और ससुराल वाले शादी के बाद भी मेरे इस खेल भावना को देखते हुए उसका पूरा समर्थन करते हुए सहयोग करते थे। उसके बाद करोना काल के दौरान 2021 में जमशेदपुर के तुड़ियाबेड़ा ससुराल के आवास में आ गई। जिसके बाद उसने फिर से कराटे प्रतियोगिता में शामिल होने के लिए स्पोर्ट्स अकैडमी का दामन थाम लिया, जिसके माध्यम से शोभा पाठक आयोजित प्रतियोगिताओं में शामिल होने लगी लेकिन 32वें नेशनल कराटे चैंपियनशिप में शामिल होने से एक माह पूर्व अपने ही घर में गिरने से वह चोटिल हो गई जिसे लेकर चिकित्सक भी उसे सलाह दी की रीड की हड्डी और हाथ में चोट लगने की वजह से उसे किसी भी प्रतियोगिता में लगभग 2 वर्ष तक शामिल नहीं होना है लेकिन आखिर देवी रूपी एक बच्चे की मां ठान ली की वह इस प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल जीत के ही आयेगी लेकिन अफसोस ब्रोंज मेडल से ही उसे संतोष होना पड़ा।
इसे लेकर वह जरूर निराशा है लेकिन कहा कि 2025 में होने वाले प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल ही जीत कर जमशेदपुर सहित झारखंड ही नहीं पूरे देश का नाम व रोशन करने की वह ठान ली है।वही शोभा पाठक की अदम साहस को लेकर क्षेत्र वासी काफी खुश है।