जमशेदपुर : छठ महापर्व में ही केवल अस्ताचलगामी यानी डूबते सूर्य की उपासना की जाती है. ऐसा माना जाता है कि इस समय सूर्य देवता अपनी दूसरी पत्नी प्रत्यूषा के साथ रहते हैं. इसीलिए प्रत्यूषा को अर्घ्य दिया जाता है. शाम के समय सूर्य की आराधना से जीवन में संपन्नता आती है. अस्त होते सूर्य को अर्घ्य देने से हर तरह की परेशानी दूर होती है. मान्यता है कि इससे संतान की प्राप्ति होती है और संतानवान लोगों की संतान और परिजनों का कल्याण होता है. अस्ताचलगामी सूर्य यानी सूर्य की अंतिम किरण को अर्घ्य देने से विशेष लाभ होता है. इससे नेत्र ज्योति बढ़ती है, लंबी आयु मिलती है और आर्थिक संपन्नता आती है. यह भी माना जाता है कि विद्यार्थियों को भी अर्घ्य देना चाहिए, इससे उन्हें उच्च शिक्षा में लाभ मिलता है।
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