रांची: पश्चिम बंगाल से झारखंड में आलू की आपूर्ति रुकने से राज्य में सब्जियों की कीमतों में भारी बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। झारखंड की बाजारों में आलू की कीमतों में 30% से अधिक का उछाल हुआ है, जिससे आम जनता की रसोई का बजट गड़बड़ा गया है। इसके साथ ही अन्य सब्जियों के दाम भी तेजी से बढ़ रहे हैं।
क्या है मामला?
पश्चिम बंगाल सरकार ने स्थानीय बाजार में मांग को देखते हुए अन्य राज्यों में आलू की आपूर्ति पर रोक लगाई है। बंगाल, जो झारखंड में आलू का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता है, वहां से नियमित रूप से हजारों टन आलू आता था। आपूर्ति में अचानक रुकावट से झारखंड में आलू की कीमतें 25 रुपये प्रति किलो से बढ़कर 40 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गई हैं।
सब्जियों के दाम में उछाल
- आलू: 45 रुपये प्रति किलो (पहले 25 रुपये)
- टमाटर: 60 रुपये प्रति किलो (पहले 45 रुपये)
- प्याज: 50 रुपये प्रति किलो (पहले 35 रुपये)
- भिंडी और बैंगन: 70-80 रुपये प्रति किलो
रसोई पर असर
आदित्यपुर निवासी एक गृहिणी ने बताया कि “सब्जियों की बढ़ती कीमतों ने घर का बजट बिगाड़ दिया है। आलू और प्याज जैसी चीजें भी अब महंगी हो गई हैं। सरकार को इस समस्या का जल्द समाधान निकालना चाहिए।”
व्यापारियों की प्रतिक्रिया
थोक व्यापारियों का कहना है कि बंगाल से आपूर्ति न होने के कारण झारखंड के स्थानीय उत्पादकों पर दबाव बढ़ गया है। मंडी के एक व्यापारी ने कहा, “हमारे पास पर्याप्त स्टॉक नहीं है। मांग और आपूर्ति के बीच का अंतर बढ़ने से कीमतें बढ़ रही हैं।”
सरकार की प्रतिक्रिया
मिली जानकारी के मुताबिक झारखंड सरकार ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए पश्चिम बंगाल सरकार से बातचीत शुरू की है। इस स्थिति से निपटने के लिए वैकल्पिक आपूर्ति स्रोतों पर काम कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश और बिहार से आलू और अन्य सब्जियां मंगाने का प्रयास किया जा रहा है।”
विशेषज्ञों की राय
कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि झारखंड में सब्जियों की आपूर्ति के लिए बंगाल पर निर्भरता को कम करना जरूरी है। झारखंड में स्थानीय स्तर पर कृषि उत्पादन बढ़ाने और सब्जियों के लिए ठोस आपूर्ति शृंखला विकसित करने की आवश्यकता है।
निवर्तमान समाधान
वैकल्पिक आपूर्ति: उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों से सब्जियों की आपूर्ति बढ़ाई जा सकती है।
स्थानीय उत्पादन: झारखंड में सब्जी उत्पादन बढ़ाने के लिए किसानों को प्रोत्साहन और सहूलियतें दी जानी चाहिए।
खाद्य सब्सिडी: गरीब और मध्यम वर्ग को राहत देने के लिए सरकार सब्सिडी प्रदान कर सकती है।
आलू की आपूर्ति रोकने का फैसला न केवल झारखंड बल्कि अन्य राज्यों को भी प्रभावित कर रहा है। झारखंड सरकार को जल्द से जल्द प्रभावी कदम उठाने होंगे ताकि जनता को महंगाई की मार से बचाया जा सके। आने वाले दिनों में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि दोनों राज्यों के बीच इस समस्या का समाधान कैसे निकाला जाता है।