चाणक्य साह
झारखंड: उरांव समाज के पुजारी चयन का अद्भुत और अनोखा चलन है । जब स्वयं कुल देवी चाला आयंग मां पांच वर्ष के लिए अपने सेवक के रूप में पुजारी का चयन करती हैं। सैकड़ों लोगों की भीड़ में से किसी एक भक्त के शरीर पर मां चाला आयंग सवार होकर पूरे मुहल्ले का भ्रमण कर किसी भी घर में घुसकर अपने सेवक के रूपी पुजारी का चयन करती है। इस दौरान जिस व्यक्ति के शरीर पर मां सवार होती है उस व्यक्ति के आंख पर पट्टी बांध दिया जाता है।वह व्यक्ति जिस पर कुलदेवी की सवारी होती है वह अपने सेवक के घर पहुंच कर प्रत्येक व्यक्ति का नाम ले लेकर पूकारती है और स्वयं निर्देश देती है कि फलना आदमी मेरा 5 वर्षों तक सेवा पुजारी के रूप में करेगा।
ऐसी ही कुछ चाईबासा में बांध टोला के सात अखाड़ा के उरांव समाज की कुलदेवी ने अगले 5 वर्ष के लिए फागू खलको को पुजारी के रूप में चुनाव की। बान टोला अखाड़ा मे मान्यता अनुसार पाँच वर्ष के बाद नैग, पाहन, पुजारी व उनके सहयोगी पनभरवा का चुनाव किया जाता है l विदित हो कि यह परम्परा वर्षो से अपने नियमानुसार अखाड़ा ( मुहल्ले ) के नवयुवक लड़के उपवास में चाला मण्डप ( सरना स्थल ) पहुंचकर धुँवान-धुप,दूध-पानी व फूल प्रसाद से पूजा अर्चना करते है। उन्हीं लड़कों मे से माँ द्वारा नियुक्त भक्त के आँखों मे पट्टी बांधा जाता है।
तत्पश्चात गाजे-बाजे के साथ माँ की आराधना करते हुए गीतों के साथ मुहल्ला के हजारों घरों से घूमती हुई किसी एक घर में माँ ( आँखों मे पट्टी बांधा हुआ भक्त ) घुस जाती है। उस घर के सभी परिवार के सदस्यों का नाम एक-एक कर के बतातीं हैं। तत्पश्चात उस घर का मुखिया व उनकी धर्मपत्नी ही माँ की मुख्य पुजारी के रूप मे नियुक्त हो जाते हैं. परम्परा अनुसार उरांव समाज के लोग माँ की सेवा करने हेतू आतुर रहते हैं। इसके लिए सभी अपने-अपने घर की साफ-सफाई विशुद्ध देसी तरीके से गोबर लेपन आदि कर तैयारी करते हैं ताकि माँ की पवित्र चरण हमारे घर पर पड़े। ताकि उन्हें माँ की विशेष सेवा करने का मौका मिले l इस बार भी माँ के द्वारा नियुक्त मुख्य पुजारी के रूप मे दोहराते हुए हजारों घर घूमने के बाद पुनः पूर्व पुजारी फागु खलखो के घर में घुसकर माँ के द्वारा नियुक्त किया गया। सहयोगी के रूप में पनभरवा दुर्गा कुजूर व मंगरू टोप्पो नियुक्त हुए।
इस अवसर पर बान टोला अखाड़ा में मुखिया लालू कुजूर के अलावे समाज के चमरू लकड़ा, शम्भु टोप्पो, सीताराम मुण्डा, राजेन्द्र कच्छप, जगरनाथ लकड़ा, भैया टोप्पो, बुधराम कोया, विशाल कच्छप, जगरनाथ टोप्पो, जय लकड़ा, विकास लकड़ा, विक्की तिग्गा, कुणाल तिग्गा, सुरज तिर्की, रवि तिर्की, बिरसा लकड़ा, रवि कुजूर, शंकर बाड़ा, दसरथ कुजूर, कलिया कुजूर, आकाश टोप्पो, श्याम लकड़ा वार्ड पार्षद श्रीमती लक्ष्मी कच्छप, पुतुल खलखो, लक्ष्मी खलखो, शांति कुजूर, सुभद्रा कच्छप, पार्वती कुजूर आदि काफी संख्या मे महिला पुरूष उपस्थित थे।