बारियातू / कुतुबुद्दीन : झारखंड राज्य के लातेहार जिले का बालूमाथ प्रखंड अनुमंडल बनने का सपना अब तक अधूरा है। सभी आवश्यक योग्यताएँ पूरी करने के बावजूद बालूमाथ को अनुमंडल का दर्जा न मिलने से स्थानीय लोगों में जनप्रतिनिधियों के प्रति गहरी नाराजगी है।
बालूमाथ अनुमंडल संघर्ष समिति के सचिव सह पत्रकार संतोष कुमार सिन्हा ने बताया कि पिछले 31 वर्षों से बालूमाथ को अनुमंडल और मुरपा को प्रखंड बनाने की माँग सांसद, विधायक और सत्ताधारी दलों से की जा रही है। इसके बावजूद किसी भी जनप्रतिनिधि ने इस दिशा में ठोस कदम नहीं उठाया है।
संतोष कुमार सिन्हा ने कहा कि एकीकृत बालूमाथ प्रखंड से विभाजित कर 5 अक्टूबर 2009 को तत्कालीन राज्यपाल के. शंकर नारायण ने हेरहंज और बारियातू को अलग प्रखंड बनाने की घोषणा की थी। वर्तमान में इन तीनों प्रखंडों में 27 पंचायतें और 174 से अधिक गाँव शामिल हैं, जिनकी कुल आबादी लगभग दो लाख से अधिक है।
आज भी अनुमंडल से संबंधित आवश्यक कार्यों के लिए लोगों को लातेहार जिला मुख्यालय जाना पड़ता है। यदि बालूमाथ को अनुमंडल का दर्जा मिल जाए, तो न केवल बालूमाथ बल्कि हेरहंज और बारियातू प्रखंड के लोगों को भी बड़ी राहत मिलेगी।
संघर्ष समिति और ग्रामीणों ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, लातेहार विधायक प्रकाश राम और उपायुक्त उत्कर्ष कुमार से जल्द से जल्द बालूमाथ को अनुमंडल का दर्जा दिलाने की माँग की है।