रांची : रांची-टाटा हाईवे (NH-33), जिसे अब फोरलेन बनने के बाद NH-18 के नाम से जाना जाता है, झारखंड का एक प्रमुख राष्ट्रीय राजमार्ग है। यह मार्ग रांची से टाटा और रांची से कोलकाता तक जाने का मुख्य रास्ता है, जिस पर रोजाना हजारों लोग सफर करते हैं।आज सुबह तड़के, एक 22-चक्का ट्रेलर, जिसमें बोरियों में भरकर बालू लदा था, रांची से टाटा की ओर जा रहा था। अचानक ट्रेलर अनियंत्रित होकर सड़क पर पलट गया, जिससे पूरी सड़क पर बालू की बोरियां बिखर गईं। इस घटना के कारण सड़क पर यातायात बुरी तरह प्रभावित हुआ, और यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा।
इस दुर्घटना के चलते सड़क के दोनों ओर वाहनों की लंबी कतारें लग गईं। चूंकि आवागमन के लिए एक ही लेन बची थी, लोग जोखिम उठाकर उस पर से गुजरने को मजबूर थे, जिससे दुर्घटना का खतरा और बढ़ गया।
सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि खबर लिखे जाने तक न तो कोई प्रशासनिक अधिकारी मौके पर पहुंचा था, और न ही NHAI (राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण) का कोई कर्मचारी। यह सवाल उठता है कि जब टोल के रूप में हर 60 किलोमीटर के भीतर शुल्क वसूला जाता है, तो किसी दुर्घटना की स्थिति में प्रभावित मार्ग को जल्द से जल्द खाली करने की जिम्मेदारी किसकी है? आखिर NHAI इस काम में इतनी देरी क्यों करता है? यह हादसा न केवल प्रशासन की उदासीनता को उजागर करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि टोल वसूली तो सक्रिय रूप से की जाती है, लेकिन आपातकालीन सेवाएं मुहैया कराने में गंभीर लापरवाही बरती जाती है। अब देखना यह होगा कि प्रशासन कब तक इस अव्यवस्था को सुधारने के लिए कदम उठाता है।