RANCHI : ED की तरफ से दायर चार्जशीट में पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का चिट्ठा तैयार किया गया है। 191 पन्नों के चार्जशीट में कई ऐसी जानकारियां व साक्ष्य रखे गये हैं, जो अब तक सामने नहीं आ सके हैं। अब दावा है कि जब कोर्ट में मुकदमा शुरू होगा, तो हेमंत सोरेन की मुश्किलें बढ़ जायेगी। ED ने उन तमाम सफाईयों को खारिज करते हुए दावा किया है कि हेमंत सोरेन ने ही 31 करोड़ रुपये से अधिक की 8.86 एकड़ जमीन अवैध रूप से हासिल की थी। जानकारी के मुताबिक ईडी ने कोर्ट में एक फ्रीज और स्मार्ट टीवी का बिल सबूत के रूप में पेश किया है।
ईडी ने 191 पन्नों की चार्जशीट में हेमंत सोरेन, राजकुमार पाहन, हिलारियास कच्छप, भानु प्रताप प्रसाद और बिनोद सिंह को आरोपी बनाया है. उस जमीन के टुकड़े को भी ईडी ने 30 मार्च को कुर्क कर लिया है और जिसकी कीमत 31.07 करोड़ रुपये से अधिक है।ये दोनों बिल ईडी ने दो डीलरों से प्राप्त कीं और उन्हें पिछले महीने झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) नेता और चार अन्य के खिलाफ दायर अपने आरोप पत्र में संलग्न किया था।
करोड़ों की जमीन हेराफेरी मामले में हेमंत सोरेन न्यायिक हिरासत में हैं। ईडी के अनुसार, उपरोक्त दोनों गैजेट संतोष मुंडा के परिवार के सदस्यों के नाम पर खरीदे गए थे, जिन्होंने एजेंसी को बताया कि वे उक्त भूमि (8.86 एकड़) पर 14-15 वर्षों के लिए हेमंत सोरेन की संपत्ति के देखभालकर्ता के रूप में रह रहे हैं।
ईडी ने जमीन के टुकड़े पर राजकुमार पाहन नाम के व्यक्ति के दावे को भी खारिज कर दिया। ईडी ने आरोप लगाया कि राजकुमार पाहन को हेमंत सोरेन ने संपत्ति को अपने नियंत्रण में रखने के लिए ‘मुखौटा’ बनाया था। ईडी ने दावा किया कि पिछले साल अगस्त में इस मामले में जब सोरेन को पहला समन जारी हुआ उसके तुरंत बाद, राजकुमार पाहन ने रांची के उपायुक्त को एक पत्र लिखा। पाहन ने दावा किया कि जमीन का मालिकाना हक उसके और कुछ अन्य लोगों के पास है।
पाहन ने रांची के उपायुक्त से मांग की थी कि अन्य मालिकों के नाम पर पहले का म्यूटेशन रद्द करके उन्हें उनकी संपत्ति से बेदखल होने से बचाया जाए। ईडी ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार ने हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी से दो दिन पहले 29 जनवरी को राजकुमार पाहन को जमीन ‘बहाल’ कर दी, ताकि झामुमो नेता का नियंत्रण और कब्जा ‘निर्बाध’ बना रहे। ईडी के अनुसार, भूमि मूल रूप से एक ‘भुइंहारी’ संपत्ति थी जिसे सामान्य परिस्थितियों में किसी को हस्तांतरित या बेचा नहीं जा सकता था और ‘मुंडा’ और ‘पाहन’ ऐसी भूमि संपत्ति के मालिक के रूप में खड़े किए गए। ईडी ने दावा किया कि मूल मालिकों द्वारा जमीन कुछ व्यक्तियों को बेच दी गई थी. लेकिन हेमंत सोरेन ने उन खरीददारों को ‘बेदखल’ कर दिया और 2010-11 में जमीन पर नियंत्रण हासिल कर लिया।
संतोष मुंडा ने ईडी को यह भी बताया कि हेमंत सोरेन और उनकी पत्नी कल्पना ने ‘दो से तीन बार’ जमीन का दौरा किया और जब भूखंड पर एक चारदीवारी बनाई जा रही थी, तब उन्होंने एक मजदूर के रूप में काम किया था। ईडी का दावा है कि सोरेन के कहने पर मुंडा को संपत्ति की देखभाल का प्रभार सौंपा गया था, इसके अलावा मामले के एक अन्य आरोपी हिलारियास कच्छप ने वहां बिजली मीटर लगवाया था।
एजेंसी ने कहा कि रांची में जहां जमीन स्थित है उस पते पर फरवरी 2017 में संतोष मुंडा के बेटे के नाम पर एक रेफ्रिजरेटर खरीदा गया था, जबकि उनकी बेटी के नाम पर नवंबर 2022 में एक स्मार्ट टीवी खरीदा गया था। ईडी ने कहा, इस प्रकार यह ‘स्थापित’ होता है कि संतोष मुंडा और उनका परिवार इस संपत्ति पर रह रहा था और यह आरोपी व्यक्ति राजकुमार पाहन के कब्जे में नहीं था। केंद्रीय एजेंसी ने कहा, ‘राजकुमार पाहन हेमंत सोरेन के मुखौटे के रूप में काम कर रहे हैं ताकि संपत्ति को किसी तरह पाहन और उसके परिवार के सदस्यों के कब्जे में दिखाया जा सके और हेमंत सोरेन के खिलाफ सबूतों को विफल किया जा सके और अपराध की आय को छुपाया जा सके।
ईडी ने इन दोनों बिलों को सबूत के रूप में सूचीबद्ध किया है और ‘भरोसेमंद दस्तावेजों’ के तहत चार्जशीट के साथ संलग्न किया है. ईडी ने चार्जशीट में विशेष अदालत से मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (PMLA) के तहत हेमंत सोरेन और अन्य के खिलाफ मुकदमा चलाने की मांग की है.
केंद्रीय एजेंसी को 2022 में रांची के मोरहाबादी में रक्षा मंत्रालय की 4.55 एकड़ जमीन घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले की जांच करते समय उपरोक्त भूमि घोटाले के बारे में भनक लगी थी।