रांची : झारखंड विधानसभा का बजट सत्र समाप्त हो गया. इस बार का बजट सत्र कई मायनों में महत्वपूर्ण रहा. 24 फरवरी से 27 मार्च 2025 तक चले इस बजट सत्र के दौरान जहां हेमंत सरकार द्वारा आगामी वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए पेश किए गए 1 लाख 45 हजार 400 करोड़ रुपये के बजट को मंजूरी दी गई, वहीं सदन के अंदर विनियोग विधेयक समेत कुल पांच विधेयक लाए गए और उन्हें मंजूरी दी गई.
इस बजट सत्र के दौरान सबसे खास बात यह रही कि 20 कार्य दिवसों के दौरान अधिकांश समय सदन की कार्यवाही चलती रही. हालांकि कानून व्यवस्था और सरकार के कामकाज को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच नोकझोंक भी हुई, बावजूद इसके स्पीकर रबींद्रनाथ महतो सदन की कार्यवाही चलाने में सफल नजर आए.
बजट सत्र के आखिरी दिन भाजपा नेता अनिल टाइगर की हत्या की गूंज सदन के अंदर और बाहर बनी रही. इसके कारण सुबह में सदन की कार्यवाही बाधित रही, लेकिन भोजनावकाश के बाद सब कुछ सामान्य होता नजर आया और देर शाम तक सदन की कार्यवाही चलती रही.
सदन को मिला नेता प्रतिपक्ष
बजट सत्र के दौरान राज्य को नेता प्रतिपक्ष भी मिल गया. भारतीय जनता पार्टी की ओर से मनोनीत बाबूलाल मरांडी को विधानसभा सचिवालय की ओर से नेता प्रतिपक्ष घोषित किया गया. नेता प्रतिपक्ष की घोषणा के बाद सरकार कई संवैधानिक मुद्दों पर निर्णय लेने में सफल होगी.
वहीं इस सत्र में कुल 1195 प्रश्न स्वीकृत हुए, जिनमें अल्पसूचित प्रश्नों की संख्या 246 और तारांकित प्रश्नों की संख्या 851 है. इनमें से 59 अल्पसूचित और 66 तारांकित प्रश्नों का उत्तर सदन में दिया गया. सरकार के विभिन्न विभागों की ओर से 1074 प्रश्नों के उत्तर सदन में उपलब्ध कराए गए और 23 प्रश्नों के उत्तर अब भी विभाग के पास लंबित हैं. इसके अलावा 98 स्वीकृत अतारांकित प्रश्नों के उत्तर अब तक विभाग को नहीं मिले हैं. बजट सत्र के दौरान शून्यकाल में 464 स्वीकृत हुए, जबकि 95 स्वीकृत ध्यानाकर्षण सूचनाओं में से 62 ध्यानाकर्षण सूचनाओं का उत्तर दिया गया.
सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों को स्पीकर ने दिया श्रेय
बजट सत्र के समापन पर स्पीकर रबींद्र नाथ महतो ने कहा कि सदन में सत्ता पक्ष और विपक्ष के सभी सदस्य मौजूद रहे और सभी सदस्यों ने सदन के संचालन में सहयोग किया. सदन की कार्यवाही लंबे समय तक चली जो अपने आप में इतिहास है और देश के अन्य राज्यों के लिए अनुकरणीय है . इस बीच संसदीय कार्य मंत्री राधा कृष्ण किशोर ने बजट सत्र को ऐतिहासिक बताते हुए कहा है कि मैंने अपने 40-45 वर्षों के राजनीतिक जीवन में पहली बार ऐसा बजट सत्र देखा है जिसमें सत्ता पक्ष हो या विपक्ष सभी ने सदन चलाने में सहयोग किया है.