प्रयागराज। महाकुंभ के सबसे बड़े अमृत स्नान पर्व मौनी अमावस्या पर नहान के ठीक पहले संगम तट पर मची भगदड़ की जांच न्यायिक आयोग ने शुक्रवार को शुरू कर दी। जांच के दौरान आयोग का हादसे के कारणों पर ज्यादा फोकस रहा। आयोग सबसे पहले घटनास्थल पर पहुंचा। वहां के बाद संगम तट और फिर प्रयागराज मेला प्राधिकरण मुख्यालय स्थित इंटीग्रेटेड कंट्रोल एंड कमांड सेंटर में सीसीटीवी कैमरे का फुटेज देखा। बाद में उच्चाधिकारियों के साथ बैठक की और फिर एसआरएन अस्पताल में भर्ती घायलों से बातचीत करने गए। शाम को जांच आयोग लखनऊ लौट गया। आयोग के सदस्य दैनिक जागरण के 29 व 30 जनवरी के अंक में प्रकाशित भगदड़ के समाचार की कटिंग भी साथ ले गए हैं।
आधी रात के बाद एक से दो बजे के बीच मची थी भगदड़
मौनी अमावस्या के पूर्व मंगलवार की आधी रात के बाद एक से दो बजे के बीच संगम तट पर भगदड़ में कई श्रद्धालुओं की जान चली गई थी। काफी संख्या में लोग घायल हुए हैं। मेला पुलिस व प्रशासन ने 30 श्रद्धालुओं की मौत तथा 60 लोगों के घायल होने की पुष्टि की है। हादसे के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर न्यायमूर्ति हर्ष कुमार की अध्यक्षता में आयोग का गठन किया गया है, जिसमें सेवानिवृत्त आईएएस दिनेश कुमार सिंह व सेवानिवृत्त आईपीएस वीके गुप्ता शामिल हैं।
शुक्रवार को लखनऊ से चलकर आयोग के सदस्य दोपहर महाकुंभ नगर पहुंचे। घटना स्थल पर आयोग के अध्यक्ष हर्ष कुमार ने उस बैरिकेडिंग को भी देखा, जिसके टूटने के बाद भीड़ बेकाबू होकर संगम तट की ओर बढ़ी और जमीन पर बैठे ब्रह्म मुहूर्त की प्रतीक्षा कर रहे श्रद्धालुओं को दबा दिया। सदस्यों ने अधिकारियों से पूछा, श्रद्धालुओं की भीड़ किस ओर से आ रही थी और किस ओर से वापस लौटाई जा रही थी। यह भी जाना कि भगदड़ के ठीक पहले संगम के सर्कुलेटिंग एरिया में लगभग कितने श्रद्धालु थे और पीछे से अचानक आई भीड़ की संख्या क्या रही होगी।
आयोग ने अफसरों से किए ये सवाल-
- भगदड़ जैसी घटना न हो, इसके लिए पहले से क्या तैयारी की गई थी?
- कौन-कौन सी आपातकालीन योजनाएं बनाई गई थीं, कितनी लागू हुईं?
- संगम तट पर भारी भीड़ को स्नान कराकर शीघ्र वापसी के लिए क्या उपाय किए?
- सीसीटीवी कैमरों के साथ एंट्री प्वाइंट और संगम जाने वाले मार्गों पर कौन से अफसर थे?
- कितनी आपात योजनाएं लागू की गई, तत्काल क्या कदम उठाए गए थे?
- श्रद्धालुओं की भीड़ किस ओर से आ रही था और किस ओर से वापस लौटाई जा रही थी?
अधिकारियों से पूछताछ करते हुए आयोग घाट के किनारे पहुंचा और वहां के क्षेत्रफल की जानकारी ली। लगभग एक घंटे तक घटनास्थल तथा घाट का निरीक्षण कर आयोग के सदस्य मेला प्राधिकरण पहुंचे। वहां सीसीटीवी कैमरे के फुटेज का गहनता से दो बार अवलोकन किया। कई दृश्यों को उन्होंने रिवाइंड करके भी देखा।बैठक में मौनी अमावस्या स्नान पर्व पर की गईं तैयारियों और व्यवस्थाओं के साथ भीड़ प्रबंधन की जानकारी ली। कहां चूक हुई और भगदड़ की मुख्य वजह के साथ और क्या कारण थे, को लेकर भी चर्चा हुई। एसआरएन अस्पताल में आयोग के सदस्यों ने घायलों के नाम, पता व मोबाइल नंबर नोट किए।
सीसीटीवी कैमरे की फुटेज करा दिया सुरक्षित
आयोग ने भगदड़ के दौरान सीसीटीवी की फुटेज को सुरक्षित करा दिया। वहीं फुटेज की कापी भी तलब की। इस फुटेज को पुलिस पहले ही ब्लाक कर चुकी है। सीसीटीवी कैमरा के संचालन में सपोर्ट करने वाली एजेंसी के अधिकारी से भी आयोग ने बात की।