स्वाधीनता सेनानियों ने हमें नयी अभिव्यक्ति प्रदान की : द्रौपदी
नई दिल्ली : 78वें स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर बुधवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने देश को सम्बोधित किया। उन्होंने कहा, ‘यह उत्सव, 140 करोड़ से अधिक देशवासियों के साथ अपने इस महान देश का हिस्सा होने की हमारी खुशी को अभिव्यक्त करता है। जिस तरह हम अपने परिवार के साथ विभिन्न त्योहार मनाते हैं, उसी तरह हम अपने स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस को भी अपने उस परिवार के साथ मनाते हैं, जिसके सदस्य हमारे सभी देशवासी हैं।’
आजादी के त्योहार में शामिल होनेवाले सभी देशवासी हमारा परिवार
राष्ट्रपति ने कहा ‘आजादी के त्योहार में शामिल होनेवाले सभी देशवासी हमारा परिवार हैं। आजादी का यह पर्व हमें उन दिनों की याद दिलाता है, जब देश के लिए कई लोगों ने बलिदान दिया। हमारे स्वाधीनता सेनानियों ने हमें नयी अभिव्यक्ति प्रदान की। सरदार पटेल, बोस, भगत सिंह, बाबा साहेब आम्बेडकर जैसे कई अन्य लोग थे, जिनके बलिदान की सराहना होती रही है। आदिवासियों में तिलका मांझी, बिरसा मुंडा, लक्ष्मण नायक और फूलो-झानो जैसे कई अन्य लोग थे, जिनके बलिदान की अब सराहना हो रही है। हमने भगवान बिरसा मुंडा की जयंती को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाना शुरू किया है। अगले वर्ष उनकी 150वीं जयंती का उत्सव राष्ट्रीय पुनर्जागरण में उनके योगदान को और अधिक गहराई से सम्मान देने का अवसर होगा।’
द्रौपदी मुर्मू ने कहा, ‘ हमारे अन्नदाता किसानों ने उम्मीदों से बेहतर कृषि उत्पादन सुनिश्चित किया है। ऐसा करके, उन्होंने भारत को कृषि-क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने और हमारे देशवासियों को भोजन उपलब्ध कराने में अमूल्य योगदान दिया है। जी-20 की अपनी अध्यक्षता के सफलतापूर्वक सम्पन्न होने के बाद, भारत ने वैश्विक दक्षिण को मुखर अभिव्यक्ति देनेवाले देश के रूप में अपनी भूमिका को मजबूत बनाया है। भारत अपनी प्रभावशाली स्थिति का उपयोग विश्व शांति और समृद्धि के विस्तार हेतु करना चाहता है।’
भारत बड़ी अर्थ-व्यवस्थाओं में शामिल
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि वर्ष 2021 से वर्ष 2024 के बीच 08 प्रतिशत की औसत वार्षिक वृद्धि दर हासिल कर, भारत सबसे तेज गति से बढ़नेवाली बड़ी अर्थ-व्यवस्थाओं में शामिल है। इससे न केवल देशवासियों के हाथों में अधिक पैसा आया है, बल्कि गरीबी रेखा से नीचे रहनेवाले लोगों की संख्या में भी भारी कमी आयी है। यह हम सभी के लिए गर्व की बात है कि भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है और हम शीघ्र ही विश्व की तीन शीर्षस्थ अर्थ-व्यवस्थाओं में स्थान प्राप्त करने के लिए तैयार हैं। यह सफलता किसानों और श्रमिकों की अथक मेहनत, नीति-निमार्ताओं और उद्यमियों की दूरगामी सोच तथा देश के दूरदर्शी नेतृत्व के बल पर ही सम्भव हो सकी है।’