नई दिल्ली : नोएडा में एक कंपनी के मालिक और मैनेजर के अपहरण की पूरी पटकथा साजिशकर्ताओं ने कंपनी के अकाउंटेंट के साथ मिलकर रची थी। उन्होंने पहले कंपनी की बैलेंस सीट देखी, जब उसमें करोड़ों का लाभ देखा तो अपहरण की साजिश रच डाली। अपहरणकर्ताओं को उम्मीद थी कि उन्हें कम से कम दो करोड़ रुपये मिल जाएंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। वे पुलिस के हत्थे चढ़ गए।
एसपी अर्पित विजयवर्गीय ने बताया कि साजिशकर्ता रजत ने पूछताछ के दौरान बताया कि उसने कंपनी के अकाउंटेंट शिवम के साथ मिलकर कंपनी की बैलेंस सीट देखकर साजिश रची थी। उन्हें फिरौती में दो से ढाई करोड़ रुपये मिलने की उम्मीद थी। उन्हें नूर मोहम्मद के कंपनी से आने-जाने के समय की पूरी जानकारी थी। घटना वाले दिन उन्होंने एक घंटे पहले ही अपहरण करने के लिए पूरी फील्डिंग जमा ली थी। शाम के समय जैसे ही नूर मोहम्मद और सावेज कंपनी से बाहर निकलकर कूछ दूर पहुंचे, तो उन्होंने उन्हें दबोच लिया और कहा कि वो एसटीएफ टीम से हैं। शोर मत मचाना, वरना गोली मार देंगे। इसके बाद नूर मोहम्मद और सावेज बगैर किसी विरोध के ही गाड़ी में बैठ गए।
24 घंटे के अंदर घटना का खुलासा
एसपी ने बताया कि आरोपी रजत एमएससी, विजय बीए, प्रद्युम्न बीए और अकाउंटेंट शिवम 12वीं पास हैं। पुलिस ने अपहरण के 24 घंटे में घटना का खुलासा कर चार आरोपियों को गिरफ्तार कर कंपनी के मालिक और मैनेजर को सकुशल बरामद कर लिया है। पुलिस ने उनके पास से तीन तमंचे, तीन कारतूस, दो प्लास्टिक की रस्सी के अलावा एक अंगोछा, पांच मोबाइल फोन एक एक्सयूवी महिंद्रा गाड़ी फर्जी मोहर, एक फाइल और दो नंबर प्लेट बरामद की हैं। तीन आरोपी अभी फरार हैं। पुलिस फरार आरोपियों की तलाश में जुटी हुई है।
पुलिस ने बताया कि मूल रूप से बड़ौत के रहने वाले नूर मोहम्मद अपनी कंपनी में म्यूचुअल फंड, शेयर मार्केट में निवेश कराने के साथ जमीन की खरीद-फरोख्त भी कराते हैं। इसके चलते रोजाना दस से 15 लाख रुपये का लेन-देन होता है। उनकी कंपनी में काफी लोग काम करते हैं। पूछताछ में बदमाशों ने यह भी बताया कि अगर फिरौती की रकम नहीं मिलती, तो वे खुद को बचाने के लिए उनकी हत्या भी कर देते।
पुलिस ने ही खुलवाई आंखों की पट्टी
नूर मोहम्मद ने बताया कि आरोपियों ने खुद को एसटीएफ से बताकर हथियार के बल पर उसकी कार से उतारकर अपनी कार में बैठाया और दोनों की आंखों पर पट्टी बांध दी थी। उनसे पूछताछ करने के नाम पर मारपीट की गई और कंपनी के कैश के बारे में भी पूछा गया। नूर ने बताया कि शनिवार की शाम पुलिस ने ही बदमाशों को गिरफ्तार करते हुए उनकी आंखों पर बंधी पट्टी खुलवाई।
11 लाख रुपये देने के लिए कर लिए थे इकट्ठा
नूर मोहम्मद ने बताया कि एक व्यक्ति को वह एसीपी कहकर बुला रहे थे। एसीपी बना युवक नूर मोहम्मद से कैश की मांग कर रहा था। आरोपियों के कहने पर उसने अपने मिलने वाले लोगों से कैश की मांग की। उसने करीब 8-10 लोगों को फोन किया था और करीब 11 लाख रुपये की व्यवस्था हो गई थी। वहीं, उसका भाई भी पैसों का इंतजाम करने में जुट गया था। गनीमत रही कि पुलिस को बदमाशों का सुराग मिल गया।
अपहरण में दो सिपाहियों के नाम भी आए सामने
बागपत एसपी अर्पित विजयवर्गीय ने बताया कि कंपनी के मालिक नूर मोहम्मद और मैनेजर सावेज के अपहरण में दो सिपाहियों की संलिप्तता भी सामने आ रही है। प्राथमिक जांच में पता चला है कि घटना में कानपुर देहात में तैनात कॉन्स्टेबल राहुल और रामपुर में तैनात विजय से भी इन आरोपियों की सांठगांठ थी। दोनों सिपाहियों के खिलाफ जांच शुरू करा दी गई है, जांच के बाद आगे कार्रवाई की जाएगी।
