बंगलादेश : सरकारी नौकरियों में आरक्षण के खिलाफ छात्रों के हिंसक प्रदर्शन के बीच शुक्रवार को पूरे देश में कर्फ्यू लगा दिया गया और सेना तैनात कर दी गई। यहां तक कि सड़कों पर टैंक भी उतार दिए गए हैं। यह निर्णय पुलिस और सुरक्षा अधिकारियों द्वारा प्रदर्शनकारियों पर गोलियां चलाने और आंसू गैस छोड़ने और शुक्रवार को राजधानी ढाका में सभी सभाओं पर प्रतिबंध लगाने के कुछ घंटों बाद लिया गया।
देशभर में अब तक हुई झड़पों में कम से कम 105 लोग मारे गए हैं, जबकि हजारों लोग घायल हैं। ढाका से आने-जाने वाली रेल सेवाओं के साथ-साथ राजधानी के अंदर मेट्रो रेल को भी बंद करना पड़ा। सरकार ने देश के कई हिस्सों में मोबाइल इंटरनेट नेटवर्क बंद करने का भी आदेश दिया। स्कूल और विश्वविद्यालय अनिश्चितकाल के लिए बंद हैं।
प्रदर्शनकारी,छात्र सरकारी नौकरियों में आरक्षण की व्यवस्था के खिलाफ ढाका और अन्य शहरों में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। प्रदर्शनकारी 1971 में मुक्ति संग्राम में भाग लेने वालों के परिवार के सदस्यों के लिए 30 प्रतिशत आरक्षण को खत्म करने की मांग कर रहे हैं। उनका तर्क है कि यह कोटा सिस्टम है और प्रधानमंत्री शेख हसीना के समर्थकों को लाभ इसका सीधा लाभ मिलता है। शेख हसीना की अवामी लीग पार्टी ने स्वतंत्रता आंदोलन का नेतृत्व किया था, और वे चाहते हैं कि इसे योग्यता-आधारित कोटा सिस्टम से बदल दिया जाए।
हालांकि, बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने कोटा सिस्टम का बचाव करते हुए कहा है कि अपनी राजनीतिक संबद्धता की परवाह किए बिना जिन परिवारों ने बांग्लादेश की आजादी की लड़ाई में अपना योगदान दिया, वो कोटा सिस्टम और सर्वोच्च सम्मान के पात्र हैं।
405 भारतीय लौटे देश
बांग्लादेश में हिंसा से कई भारतीय छात्र भी प्रभावित हैं। मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा ने बताया कि पड़ोसी मुल्क में फंसे 405 भारतीय छात्रों को बांग्लादेश से सुरक्षित निकाल लिया गया है।