लोकतंत्र सवेरा न्यूज़: छिंदवाड़ा कलेक्ट्रेट परिसर में महिला टीचर का हाईवोल्टेज ड्रामा सामने आया है. सोमवार को गेस्ट टीचरों का एक समूह अपनी रुकी हुई वेतन की मांग को लेकर कलेक्ट्रेट ऑफिस पहुंचा हुआ था. तभी गेस्ट टीचर के दल में से एक महिला टीचर ने तेज आवाज में कलेक्टर से ही बहस करने लगी. तीखी बहस में कलेक्टर और महिला टीचर दोनों एक दूसरे को बात करने की तमीज सिखाते हुए नजर आए. कलेक्ट्रेट परिसर में सोमवार दोपहर को यह घटना जिसने भी देखी, वह सन्न रह गया. महिला की तू-तू मैं-मैं से पूरा परिसर गुंजायमान था.
दरअसल, रोज कि तरह कलेक्टर शीलेन्द्र सिंह अपने केबिन में मौजूद थे. इस दौरान कलेक्ट्रेट परिसर में स्काउट गाइड का दल पक्षियों को पानी देने के संदेश के एक कार्यक्रम को लेकर कलेक्ट्रेट ऑफिस पहुंचा हुआ था. इस कार्यक्रम में कलेक्टर शीलेंद्र सिंह को भी शामिल होना था.
नहीं मिला 10 महीने का वेतन
कार्यक्रम में शामिल होने के लिए कलेक्टर साहब कलेक्ट्रेट परिसर में आए तो इसी दौरान शासकीय मॉडल हायर सेकेंडरी स्कूल जुन्नारदेव के 8 गेस्ट टीचरों का दल कलेक्टर को ज्ञापन देने आ गया. इन सभी की मांग थी कि हमारा रुका हुआ 10 महीने का वेतन अभी तक हमें नहीं मिला है. हम सभी जगह अपनी अर्जी लगा चुके हैं, लेकिन अभी तक हमारी कोई सुनवाई नहीं हुई है.
कलेक्टर ने दिया आश्वासन
गेस्ट टीचरों से आवेदन लेने के बाद कलेक्टर ने आश्वासन और जबाब दे दिया. कलेक्टर का जबाब सुनते ही महिला गेस्ट टीचर ममता परसाई एकदम से भड़क गई. कलेक्टर से कहने लगी कि मुझे बात करने की तमीज़ सिखा रहे हो, जबकि तुम्हे ही बात करने की तमीज नहीं है.
महिला टीचर ने सुसाइड करने की दी धमकी
इसके साथ ही महिला गेस्ट टीचर ने कलेक्टर को यहां तक धमकी दे डाली की मैं अभी सुसाइड करके सबको फंसा दूंगी. हमको दस महीने से मानदेय नहीं मिला है. इसके कारण हम आर्थिक और मानसिक रूप से बहुत परेशान हैं. महिला की बदतमीजी देख कलेक्टर ने भी पास में ही मौजूद महिला पुलिसकर्मी को बार-बार उसे ले जाने को कहा, लेकिन महिला लगातार गुस्से में आकर कलेक्टर से बहस करती रही.
एक सप्ताह के अंदर दिया जाए वेतन
इसके बाद महिला पुलिसकर्मी ने महिला गेस्ट टीचर को कलेक्ट्रेट परिसर से बाहर ले गई. इस दौरान कलेक्टर ने भी तैश में आते हुए कहा कि जिला शिक्षा अधिकारी एक सप्ताह के भीतर इन सभी का वेतन देने का प्रयास करें. साथ ही कहा जितने गेस्ट टीचर यहां पर आए हैं. इनमे में से कोई भी अब टीचर नहीं रहेगा. इन्हें बात करने की तमीज नहीं हैं, वो बच्चों को क्या पढ़ाएंगे?