नई दिल्ली: डोनाल्ड ट्रंप ने अपने ट्रुथ सोशल हैंडल पर शेयर किया PM मोदी का पॉडकास्ट. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को अमेरिकन AI रिसर्चर लेक्स फ्रिडमैन के साथ 3 घंटे का पॉडकास्ट (इंटरव्यू) रिलीज किया. इंटरव्यू की बड़ी बातें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को अमेरिकी AI रिसर्चर लेक्स फ्रिडमैन (Lex Fridman) के साथ तीन घंटे 17 मिनट की लंबी बातचीत की. इस दौरान उन्होंने पाकिस्तान, चीन, रूस समेत वैश्विक राजनीति और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के उनके जीवन पर प्रभाव जैसे तमाम मुद्दों पर चर्चा की.
लेक्स फ्रिडमैन से चर्चा की शुरुआत में प्रधानमंत्री मोदी कहते हैं कि मेरी ताकत मोदी नहीं 140 करोड़ देशवासी, हजारों साल की महान संस्कृति मेरा सामर्थ्य है. मैं जहां भी जाता हूं, मोदी नहीं जाता है, हजारों साल की वेद से विवेकानंद की महान परंपरा को 140 करोड़ लोगों, उनके सपनों को लेकर, उनकी आकांक्षाओं को लेकर निकलता हूं. इसलिए मैं दुनिया के किसी नेता को हाथ मिलाता हूं तो मोदी हाथ नहीं मिलाता बल्कि 140 करोड़ लोगों का हाथ होता है. तो सामर्थ्य मोदी का नहीं भारत का है.
पीएम मोदी ने कहा कि जब भी हम शांति की बात करते हैं तो विश्व हमें सुनता है. क्योंकि ये बुद्ध की भूमि है, महात्मा गांधी की भूमि है. हम संघर्ष के पक्षधर है ही नहीं बल्कि हम समन्वय के पक्ष के हैं. हम ना प्रकृति से संघर्ष चाहते हैं, ना राष्ट्रों के बीच संघर्ष चाहते हैं. हम समन्वय चाहने वाले लोग हैं और अगर हम इसमें कोई भूमिका अदा कर सकते हैं तो हमने अदा करने का प्रयास किया है. भारत-चीन के रिश्तों पर क्या बोले PM मोदी?
फ्रिडमैन के साथ इस बातचीत के दौरान पीएम मोदी ने चीन के साथ भारत के संबंधों पर खुलकर बात की. उन्होंने कहा कि जब दो पड़ोसी होते हैं तो मतभेद होना स्वाभाविक है. ऐसे में बातचीत ही यह सुनिश्चित करने का एकमात्र तरीका है कि मतभेद विवाद में तब्दील ना हो. फ्रिडमैन ने पीएम मोदी से सवाल किया कि आप और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग एक-दूसरे को दोस्त मानते हैं. हाल के तनावों को कम करने और चीन के साथ संवाद और सहयोग को फिर से शुरू करने में मदद करने के लिए उस दोस्ती को कैसे फिर से मजबूत किया जा सकता है? इसके जवाब में प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत और चीन के बीच संबंध कोई नई बात नहीं है. दोनों देशों की संस्कृतियां और सभ्यताएं प्राचीन हैं. आधुनिक दुनिया में भी, दोनों की महत्वपूर्ण भूमिका है. यदि आप ऐतिहासिक अभिलेखों को देखें, तो सदियों से भारत और चीन ने एक-दूसरे से सीखते रहे हैं. और दोनों मिलकर दुनिया की भलाई के लिए काम करते रहे हैं.
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि पुराने रिकॉर्ड बताते हैं कि एक समय पर, भारत और चीन दुनिया के जीडीपी का 50 फीसदी से अधिक हिस्सा थे. इतना बड़ा योगदान भारत का रहा है. और मैं मानता हूं कि इतने सशक्त संबंध हमारे रहे हैं. इतने गहरे सांस्कृतिक संबंध रहे हैं. पहले की सदियों में हमारे बीच में संघर्ष का इतिहास नहीं है. हमेशा एक-दूसरे से सीखने और एक-दूसरे को समझने के बारे में इतिहास रहा है. एक समय में, बौद्ध धर्म का चीन में गहरा प्रभाव था. हम भविष्य में भी इन संबंधों को मजबूत रखना चाहते हैं. बेशक, मतभेद स्वाभाविक हैं, जब दो पड़ोसी देश होते हैं, तो कभी-कभी मतभेद होना लाजिमी है. यहां तक कि एक परिवार में भी होता है. लेकिन हमारा ध्यान यह सुनिश्चित करने पर है कि ये मतभेद विवाद में न बदले. हम इसी दिशा में सक्रिय रूप से काम करते हैं. कलह के बजाय, हम बातचीत पर जोर देते हैं, क्योंकि केवल बातचीत के माध्यम से ही हम एक स्थिर, सहयोगी संबंध बना सकते हैं. लेक्स फ्रिडमैन ने पीएम मोदी से पूछा कि आपने इस बारे में बात की है कि आपके पास दुनिया में शांति स्थापित करने का सामर्थ्य है, अनुभव है, जियोपॉलिटिकल दबदबा है. आज जबकि दुनियाभर में कई युद्ध हो रहे हैं, आप पीसमेकर बन रहे हैं. क्या आप बता सकते हैं कि आप दुनिया में शांति कैसे स्थापित करेंगे? दो देशों के युद्धों के बीच शांति कैसे लाएंगे, उदाहरण के लिए रूस और यूक्रेन. इसका जवाब देते हुए पीएम मोदी ने कहा कि मैं उस देश का प्रतिनिधित्व कर रहा हूं जो भगवान बुद्ध की भूमि है, जो महात्मा गांधी की भूमि है और ये ऐसे महापुरुष हैं जिनके उपदेश जिनकी वाणी और व्यवहार पूरी तरह से शांति को समर्पित हैं इसलिए सांस्कृतिक रूप से हमरा बैकग्राउंड मजबूत है, जब हम शांति की बात करते हैं तो हम विश्व हमें सुनता है क्योंकि ये बुद्ध और महात्मा बुद्ध की भूमि है. मेरे रूस के साथ ही घनिष्ठ संबंध हैं और यूक्रेन के साथ मेरे घनिष्ठ संबंध हैं. मैं राष्ट्रपति पुतिन के साथ बैठकर कह सकता हूं कि यह युद्ध का समय नहीं है और मैं राष्ट्रपति जेलेंस्की से भी मित्रवत तरीके से कहता हूं कि भाई, दुनिया कितनी भी आपके साथ क्यों न खड़ी हो जाए, युद्ध के मैदान में कभी समाधान नहीं निकलेगा. समाधान तभी निकलेगा जब यूक्रेन और रूस दोनों बातचीत की मेज पर आएंगे.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत और पाकिस्तान के रिश्तों से जुड़े सवाल का जवाब देते हुए कहा कि 1947 से पहले सभी लोग कंधे से कंधा मिलाकर आजादी की लड़ाई लड़ रहे थे. उसी समय जो भी नीति निर्धारक लोग थे उन्होंने भारत के विभाजन को स्वीकार किया. भारत के लोगों ने सीने पर पत्थर रखकर बड़ी पीड़ा के साथ इसे भी मान लिया कि मुसलमानों को अपना देश चाहिए तो उन्हें दे दो. लेकिन इसका परिणाम भी तभी सामने आ गया. लाखों लोग कत्लेआम में मारे गए. पाकिस्तान से ट्रेनें भर-भरकर लाशें आने लगीं. बहुत डरावने दृश्य थे. लेकिन पाकिस्तान ने भारत का धन्यवाद करने और सुख से जीने की बजाय संघर्ष का रास्ता चुना. अब प्रॉक्सी वॉर चल रहा है. ये कोई विचारधारा नहीं है, टेररिस्टों को एक्सपोर्ट करने का काम चल रहा है.