अफ्रीकी देश कैमरून में फंसे झारखंड के 27 प्रवासी मजदूर की बुधवार सुबह को घर वापसी हो गई। सभी प्रवासी मजदूर हावड़ा-मुंबई मेल से पारसनाथ स्टेशन पर उतरे। झारखंड के श्रम नियोजन विभाग के सचिव मुकेश कुमार और गिरिडीह के उपायुक्त नमन प्रियेश लाकड़ा ने स्टेशन पर सभी मजदूरों का बुके देकर स्वागत किया और उनका हाल चाल जाना।
गिरिडीहः कैमरून में फंसे झारखंड के सभी 27 प्रवासी श्रमिकों की बुधवार सुबह सकुशल घर वापसी हो गई। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पहल पर इन सभी मजदूरों की घर वापसी के लिए श्रम नियोजन विभाग की ओर से विदेश मंत्रालय से संपर्क किया गया। जिसके बाद उनकी स्वदेश वापसी संभव हुई। सभी प्रवासी श्रमिक बॉम्बे मेल ट्रेन नंबर 12322 सुबह 04 बजकर 19 मिनट पर पारसनाथ स्टेशन पहुंचे। स्टेशन पर जिला प्रशासन की ओर से उनका स्वागत किया गया। इससे पहले झारखंड सरकार ने वापस लौटे 27 प्रवासी मजदूरों की सकुशल वापसी के लिए विदेश मंत्रालय को पत्र लिखा था, उसके बाद विदेश मंत्रालय की सक्रियता से मजदूरों की वापसी संभव हो सकी।
सकुशल वापसी पर सीएम हेमंत सोरेन का आभार
सकुशल अपने राज्य झारखण्ड लौटे सभी श्रमिकों ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का आभार व्यक्त किया है। इस दौरान सभी श्रमिकों ने कहा कि मुख्यमंत्री के त्वरित कार्रवाई और सतत प्रयास से वे आज अपने घर सकुशल लौटे हैं। लौटने वालों श्रमिकों में 18 बोकारो ,4 गिरिडीह और 5 हजारीबाग जिले के श्रमिक शामिल हैं।
सभी मजदूरों को 25-25 रुपये की सहायता
अपने घर वापस आने की खुशी प्रवासी मजदूरों के चेहरे पर देखने को मिली। इस दौरान केंद्र सरकार और राज्य सरकार दोनों का प्रवासी मजदूरों ने आभार जताया। श्रम नियोजन विभाग के सचिव मुकेश कुमार ने बताया कि इस सभी मजदूरों को राज्य सरकार की ओर से 25-25 हजार रुपये की सहायता की जाएगी और इसके साथ इसका रजिस्ट्रेशन भी कराया जाएगा।
विदेश में फंसे मजदूरों को 3 महीने से वेतन भी नहीं मिला
बोकारो, हजारीबाग और गिरिडीह के 27 मजदूर 29 मार्च को काम करने कैमरून गये थे। एलएनटी टावर कंपनी में काम करने के दौरान इन सभी मजदूरों को तीन महीने से वेतन नहीं दिया जा रहा था, इस वजह से इन सभी को खाने पीने में भी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था। इसके बाद सभी मजदूरों ने सोशल मीडिया पर वीडियो जारी कर वतन वापसी की गुहार लगाई थी। इसके बाद सरकार ने सक्रियता दिखाते हुए सभी मजदूरों की वतन वापसी कराई।