जमशेदपुर : ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम के आप्त सचिव संजीव लाल व निजी सहायक जहांगीर से इडी की पूछताछ में खुलासा हुआ है कि बड़े अफसर व राजनेता उससे कमीशन के पैसे लेते थे. संजीव लाल ने उनके नाम इडी को बताये हैं. इसके बाद इडी की टीम जांच में जुट गयी है. प्रवर्तन निदेशालय ने संजीव लाल और जहांगीर आलम की रिमांड अवधि बढ़ाने के लिए दायर पिटीशन में इस बात का उल्लेख किया है. निदेशालय ने संजीव लाल और जहांगीर आलम को न्यायालय में पेश करने के बाद रिमांड की अवधि और आठ दिन बढ़ाने की मांग की थी. न्यायालय ने सभी पक्षों को सुनने के बाद रिमांड की अवधि और पांच दिनों के लिए बढ़ा दी।
संजीव लाल और जहांगीर की गिरफ्तारी के बाद पीएमएलए कोर्ट ने कमीशनखोरी के इस मामले में जांच के लिए अभियुक्तों को छह दिनों के रिमांड पर देने का आदेश दिया था. इडी ने सोमवार 13 मई को रिमांड की अवधि समाप्त होने की वजह से अभियुक्तों के पीएमएलए के विशेष न्यायाधीश के कोर्ट में पेश संजीव व जहांगीर की रिमांड अवधि पांच दिनों के लिए बढ़ी किया. रिमांड पिटीशन में कहा गया है कि संजीव लाल ही विभाग के प्रभावशाली लोगों के बदले कमीशन की रकम वसूलता था. साथ ही उसका प्रबंधन भी करता था. वह विभाग में होनेवाले टेंडर मैनेज करता था और अधिकारियों से कमीशन वसूलता था. कमीशन का एक खास प्रतिशत सरकार में ऊंचे पदों पर बैठे लोगों तक पहुंचाया जाता था. इस मामले में अभी आगे की जांच जारी है।
पूछताछ में इस बात की जानकारी भी मिली है कि कमीशन के रूप में वसूली जानेवाली रकम के प्रबंधन और बंटवारे के लिए अपनाये जा रहे तरीके में विभाग के कई लोग शामिल हैं. रिमांड पिटिशन में कहा गया है कि छापेमारी के दौरान जहांगीर आलम के घर से 32.20 करोड़ रुपये, संजीव लाल के घर से 10.50 लाख और कार्यालय से दो लाख रुपये जब्त किये गये हैं. इसके अलावा इसके सहयोगी के ठिकाने से 2.13 करोड़ रुपये जब्त किये गये हैं. वीरेंद्र राम के मामले की जांच के दौरान यह पाया गया था कि वह टेंडर मूल्य का 1.5 प्रतिशत कमीशन वसूलता था और उसके प्रबंधन करता था।