- महाराष्ट्र में भारी बारिश ने प्याज की फसल को पहुंचाया बड़ा नुकसान
जमशेदपुर /मुंबई : मई 2025 में दक्षिण और मध्य भारत में हुई भारी बारिश ने किसानों की मेहनत पर पानी फेर दिया है। भारत के सबसे बड़े प्याज उत्पादक राज्य महाराष्ट्र के कई जिलों में फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई है। इससे न केवल किसानों को भारी आर्थिक नुकसान हुआ है, बल्कि बाजार में प्याज की कीमतों के फिर से आसमान छूने की आशंका जताई जा रही है। इस असर का झलक जमशेदपुर की मंडियों में भी दिखने को मिल सकता है, जहां थोक और खुदरा भाव में धीरे-धीरे बढ़ोतरी देखी जा रही है। स्थानीय व्यापारियों का कहना है कि यदि सप्लाई जल्द सामान्य नहीं हुई, तो आने वाले हफ्तों में प्याज 40 से 60 रुपये किलो तक पहुंच सकता है। ग्राहक और दुकानदार दोनों बढ़ती कीमतों को लेकर चिंतित हैं। यहां बता दें कि नासिक से प्रतिदिन करीब 10 ट्रक प्याज जमशेदपुर पहुंचते हैं, लेकिन फसल बर्बादी के कारण अब सप्लाई में कमी आ रही है।
कौन-कौन से जिले प्रभावित
महाराष्ट्र राज्य कांदा (प्याज) उत्पादक संगठन के अनुसार, राज्य के जलगांव, धुले, नासिक, अहिल्यानगर, पुणे, सोलापुर, बीड, धाराशिव, सांगली, बुलढाणा, अकोला, परभणी और जालना जैसे प्रमुख प्याज उत्पादक जिले तेज बारिश से गंभीर रूप से प्रभावित हुए हैं। संगठन ने दावा किया कि कई किसानों ने अपनी पूरी रबी सीजन की फसल कटाई से पहले ही खो दी।
किसानों ने मांगा 1 लाख रुपये प्रति एकड़ मुआवजा
संगठन ने 29 मई को महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को पत्र लिखकर प्रभावित किसानों के लिए प्रति एकड़ 1 लाख मुआवजे की मांग की है। पत्र में कहा गया कि लगातार भारी बारिश के कारण हजारों टन प्याज खेतों में सड़ गए हैं, जिससे किसानों को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ है।
भंडारण न होने पर भी हुआ नुकसान
जो प्याज पहले ही काट लिए गए थे, उनका भंडारण नहीं किया गया, वे भी बारिश के कारण बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए। ऐसे किसानों के लिए 2,000 प्रति क्विंटल की सब्सिडी की मांग की गई है, क्योंकि वे कम कीमतों पर फसल बेचने को मजबूर हो गए हैं।
नेफेड से पारदर्शी खरीद की मांग
कांदा उत्पादक संगठन ने भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ (नेफेड) से अपील की है कि वह पारदर्शी तरीके से प्याज की खरीद करे। उन्होंने सुझाव दिया कि केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए बफर स्टॉक के लिए 3 लाख टन प्याज की खरीद APMC के जरिए की जाए, और इसकी न्यूनतम कीमत 3,000 प्रति क्विंटल रखी जाए।
प्याज की कीमतें फिर से बढ़ सकती हैं?
फसल के इस नुकसान के बाद प्याज की कीमतों में वृद्धि की आशंका प्रबल हो गई है। अतीत के अनुभवों के अनुसार, जब भी आपूर्ति पर असर पड़ा है या मौसम ने फसल को नुकसान पहुंचाया है, तब बाजार में प्याज की कीमतें तेजी से बढ़ी हैं। हालांकि इस विषय पर अब तक सरकारी स्तर पर कोई स्पष्ट घोषणा नहीं की गई है।
