दिल्ली के पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की मुश्किलें कम होती दिख नहीं रही हैं। मंगलवार को दिल्ली हाईकोर्ट ने उन्हें कथित आबकारी नीति घोटाले से संबंधित केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) मामले में जमानत देने से इंकार कर दिया।
न्यायमूर्ति दिनेश कुमार शर्मा की एकल पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि सिसोदिया के खिलाफ आरोप बेहद गंभीर हैं। वे प्रभावशाली पद पर रहे हैं। वे उप मुख्यमंत्री रहे हैं। उनके पास 18 विभाग थे। उनका व्यवहार भी ठीक नहीं है। ऐसे में सबूतों से छेड़छाड़ से भी इंकार नहीं किया जा सकता है, क्योंकि ज्यादातर गवाह लोक सेवक हैं। इसलिए अभी जमानत नहीं दी जा सकती है।
कोर्ट ने 31 मार्च को मनीष सिसोदिया की याचिका नामंजूर कर दी थी। निचली अदालत के फैसले को सिसोदिया ने हाईकोर्ट में चैलेंज किया था। कोर्ट में सीबीआई ने उनकी जमानत याचिका का विरोध किया था। सीबीआई ने कहा था कि मनीष सिसोदिया ने ही आबकारी घोटाले को अंजाम दिया है। उन्होंने आपराधिक साजिश में सबसे महत्वपूर्ण और महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
जिसके बाद 11 मई को उनकी याचिका पर हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। अब मनीष सिसोदिया हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख करेंगे।
फरवरी से जेल में हैं मनीष सिसोदिया
दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया को दिल्ली के शराब नीति घोटाले में पहले सीबीआई ने फरवरी में गिरफ्तार किया था। उसके बाद सीबीआई ने रिमांड पर लेकर पूछताछ की और कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया था। उसके बाद ईडी ने इसी मामले में मनी ट्रेल की जांच करते हुए नौ मार्च को गिरफ्तार किया।