नई दिल्ली : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के प्रमुख वी. नारायणन ने हाल ही में घोषणा की कि केंद्र सरकार ने चंद्रयान-5 मिशन को मंजूरी दे दी है। इस मिशन के तहत, ISRO चांद की सतह पर एक 250 किलो वजनी रोवर भेजेगा, जिसका उद्देश्य चांद के बारे में गहरे और विस्तृत अध्ययन को करना है। दिलचस्प बात यह है कि इस मिशन को जापान के साथ मिलकर अंजाम दिया जाएगा, जिससे यह एक अंतरराष्ट्रीय सहयोग का बेहतरीन उदाहरण बनेगा।
चंद्रयान-5 मिशन का उद्देश्य
चंद्रयान-5 मिशन के जरिए ISRO चांद के अध्ययन को एक नए मुकाम पर ले जाएगा। इससे पहले, चंद्रयान-3 मिशन के तहत भेजे गए 25 किलो के रोवर ‘प्रज्ञान’ ने चांद की सतह पर महत्वपूर्ण जानकारी जुटाई थी, लेकिन चंद्रयान-5 में जो रोवर भेजा जाएगा, वह 250 किलो का होगा और यह चांद की सतह पर और भी ज्यादा गहराई से अध्ययन करेगा। यह मिशन न केवल चांद की सतह का गहन विश्लेषण करेगा, बल्कि चांद के भूगर्भीय तत्वों, खनिजों और रसायनों के बारे में और ज्यादा जानकारी प्राप्त करेगा।
चंद्रयान मिशन का इतिहास
ISRO का चंद्रयान मिशन पहले से ही अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। चंद्रयान-1 मिशन, जो 2008 में लॉन्च किया गया था, ने चांद की सतह पर रसायन और खनिजों की खोज की थी, और इसके जरिए चांद की भू-स्थैतिक मैपिंग भी की गई थी। इस मिशन ने चांद पर पानी की उपस्थिति का भी पता लगाया था, जो अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण खोज थी।
इसके बाद, चंद्रयान-2 मिशन को 2019 में लॉन्च किया गया, जिसका उद्देश्य चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडिंग करना था। हालांकि, चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर की चांद की सतह पर सटीक लैंडिंग में तकनीकी समस्या उत्पन्न हो गई थी, फिर भी इस मिशन ने 98 प्रतिशत लक्ष्य हासिल किया था। चंद्रयान-2 के तहत भेजा गया रिजोल्यूशन कैमरा अभी भी चांद से सैंकड़ों तस्वीरें भेज रहा है, जो इस मिशन की सफलता की गवाही देता है।
चंद्रयान-5 मिशन में जापान का सहयोग
चंद्रयान-5 मिशन को लेकर ISRO ने जापान के अंतरिक्ष एजेंसी के साथ सहयोग करने का निर्णय लिया है। जापान की अंतरिक्ष एजेंसी के साथ इस मिशन में संयुक्त प्रयास किया जाएगा, जिससे तकनीकी और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से बेहतर परिणाम हासिल किए जा सकेंगे। जापान का अंतरिक्ष क्षेत्र में एक मजबूत अनुभव है, और इसके साथ इस मिशन की सफलता की संभावना और भी बढ़ जाती है।
भविष्य की दिशा
चंद्रयान-5 मिशन को लेकर ISRO का उद्देश्य न केवल चांद के अध्ययन में एक नई दिशा देना है, बल्कि यह मिशन भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए भी एक मील का पत्थर साबित होगा। चांद की सतह का अध्ययन करने के साथ-साथ, यह मिशन अंतरिक्ष में भारत की ताकत को और मजबूत करेगा।
इस मिशन के सफल होने पर, ISRO को एक नई पहचान मिलेगी और भारत अंतरिक्ष क्षेत्र में अपनी उपस्थिति को और प्रभावी तरीके से स्थापित कर सकेगा। इसके साथ ही, यह मिशन भारत के अंतरिक्ष अनुसंधान कार्यक्रम के लिए कई नई संभावनाएं खोलेगा, जैसे कि अन्य ग्रहों की ओर मिशन भेजने की दिशा में प्रगति।