जमशेदपुर : मौका पर चौका मारने की कहावत आपने सुनी होगी। यह कहावत झारखंड सरकार के आबकारी विभाग पर पूर्ण रूप से फीट दिख रहा है। कारण शराब नीति में राजस्व बढ़ाने के लिए टैक्स की वृद्धि होती रही है। इसका फायदा जिला, कस्बा और शहरी क्षेत्र में मान्यता प्राप्त सरकारी शराब दुकानदार भी उठाने लगे हैं। तय मूल्य से प्रत्येक बोतल पर 10 से लेकर 30,40 रुपया तक ग्राहकों से अधिक वसूल रहे हैं। जो उपभोक्ता नियम के विरुद्ध है। होना तो यह चाहिए था की बोतल में प्रिंट एमआरपी से अधिक चार्ज ग्राहकों से नहीं किया जाना चाहिए, लेकिन हो रहा है इसका उलट।
पहले झारखंड सरकार सोमरस के शौकीनों से टैक्स के नाम पर जमकर कमाई कर रही है। वही अब दुकानदार भी इसका नाजायज फायदा उठाते हुए ग्राहकों से मनमानी कर रहे हैं। इस बात से सोमरस का सेवन करने वाले हताश है। सरकारी मनमानी टैक्स और दुकानदारों के वसूली के कारण राज्य में अवैध शराब का धंधा खूब फल फूल रहा है। कुछ लोगों की जेब भी खूब भर रही है। लेकिन कीमत सोमरस के शौकीनों को चुकाना पड़ रहा है। जो बीमारी और यहां तक कि जान देकर भी चुकानी पड़ रही है। आपने अक्सर समाचार में पढ़ा होगा कि शराब पीने से एक साथ दर्जनों लोगों की मौत हो गई।
ऐसा क्यों होता है? यह सोचने की बात है। अगर सरकार कम मूल्य पर सोमरस के शौकीनों को शराब उपलब्ध कराती है तो वह अवैध रूप से बने शराब का शौकीन सेवन क्यों करेंगे। जाहिर है जब अवैध शराब का सेवन नहीं होगा तो लोगों की मौत भी होने की संभावना कम रहेगी। हालांकि इस संबंध में आबकारी विभाग के पदाधिकारियों ने हमारे संवाददाता से कहा कि अगर आपकी जानकारी में कोई भी दुकानदार तय मूल्य से अधिक चार्ज करता है तो उसकी जानकारी दें, हम लोग कार्रवाई करते हुए दुकान का लाइसेंस रद्द करेंगे।