जमशेदपुर : सिलिकोसिस आक्रांत परिवारों के और से पिछले वर्ष 30 / 11 /2022 को उपयुक्त पूर्वी सिंहभूम के मातहत आप को दिया गया Memorandum (स्मारपत्र ) में उल्लेखित विषयों के साथ कुछ नई बिंदु एवं मांगों को जोर कर आपके ज्ञातार्थ समस्याओं का समाधान हेतु आज दिनांक 25 /11/2023 को उपायुक्त पूर्वी सिंहभूम के मातहत भेज रहा हूँ।
विषय- 1. सिलिकोसिस आक्रांत मजदूरों का चिन्हित करण हेतु सिलिकोसिस बोर्ड गठन किया जाय।
2. सिलिकोसिस से पीड़ितों एवं मृतकों के आश्रितों को सामाजिक सुरक्षा एवं पुनर्वास हेतु आर्थिक सहायता, पेंशन एवं कल्याणकारी योजनाएं लागू करने एवं
3. एम्प्लाइज कम्पेन्सेशन एक्ट 1923 (कर्मकार क्षतिपूर्ती अधिनियम 1923) के तहत मज़दूरों को क्षतिपूर्ति का लाभ मिलना सुनिश्चित करने की सम्बन्ध में।
महाशय आपको सूचित करना चाहता हूँ की राज्य सरकार की और से 14 / 06 /2014 को एफिडेविट के साथ जिन 27 सिलिकोसिस आक्रांत व्यक्तिओं का जिक्र किया गया। था और उसमें से बाद में मरे चार मृतक परिवारों के आश्रितों 4 लाख प्रति परिवार को आर्थिक सहायता प्रदान किया गए। लेकिन शेष बचे 23 में से 2 मृतक के आश्रितों एवं 21 सिलिकोसिस आक्रांत व मज्दूरों को झारखण्ड सरकार द्वारा 2 मई 2022 को घोषणा किया किया गया कारखाना सिलिकोसिस आर्थिक सहायता योजना के अनुसार अभी तक उन्हें आर्थिक सहायता प्रदान नहीं किया गया हैं। इन मज़दूरों को तत्काल आर्थिक सहायता मिले इसके लिए आपसे गुहार लगा रहा हूँ। इसके अतिरिक्त जिलों में रोमिंग मॉस इकाई में कार्य किये 1200 मज़दूरों में 700 से भी अधिक सिलिकोसिस आक्रांत मज़दूर हैं जो बहुतही दयनीय स्थिति में जीवन यापन कर रहे हैं उन्हें भी आर्थिक सहायता प्रदान करना है।
उल्लेखित 1200 मज़दूरों में 300 मजदूरों का मौत सिलिकोसिस से हो गया हैं। इन मज़दूरों का अधिकांश आदिवासी, दलित, एवं पिछड़ा वर्ग से आते हैं। सर्वाधिक खेद जनक बात यह हैं की 2018 एवं 2019 में ओशाज संस्था की और से 32 मज़दूरों का एक्सरे प्लेट का द्गीताल इमेज जमा किया था लेकिन सरकारी पदाधिकारी है टपे हाथ धरे बैठा था पीड़ित मज़दूरों में से कई मज़दूरों का मौत हो गया लेकिन संस्था द्वारा लगातार प्रयाश करने कीन तीजा 4/09 2023 को सात सिलिकोसिस आक्रांत मजदूरों का सूचि जारी किया जब कि डुमरिआ के ३२ मज़दूरों का मौत हो गया हैं और शताधिक मज़दूर सिलिकोसिस से आक्रांत हैं। धालभूमगढ़ की स्थिति लगभग ऐसा ही हैं। गया महाशय, आपके नेतृत्त्व में झारखंड सरकार ने सिलिकोसिस से आक्रांत एवं मृतक मज़दूरों के आश्रितों के लिए 2 मई 2022 को झारखंड सरकार द्वारा तैयार किया कारखाना सिलिकोसिस लाभुक सहायता योजना, 2021के लिए मैं आपको धन्यवाद देता हूँ लेकिन इनमें कुछ संशोधन की आवश्यकता हैं।
औसतन ३३ साल की उम्र में सिलिकोसिस आक्रांत मज़दूरों का मौत हो जाती हैं लेकिन वर्णित योजना हरियाणा एवं बंगाल सरकार की तर्ज पर पेंशन प्रदान करने की कोई प्रावधान योजना नहीं हैं और न ही कल्याणकारी योजना के तहत लड़कियों की शादी की खर्च एवं छात्रों को शिक्षा हेतु आर्थिक मदद देने की प्रावधान हैं। अतः महाशय से आग्रह है की इस योजना में खादान, निर्माण एवं असंगठित क्षेत्रों कार्यरत सभी सिलिकोसिस चिन्हित मज़दूरों एवं उनके आश्रितों को योजना के दायरे में लाया जाए। कारखाना, महाशय से निवेदन यह हैं की विषय में वर्णित सभी माँगों का समाधान की दिशा में अविलम्ब पहल करे। इसके अतिरिक्त
निम्नलिखित माँगों को आपके समक्ष उचित समाधन के लिए प्रस्तुत कर रहा हूँ।
कार्यक्षेत्रों में मज़दूरों की पेशागत सुरक्षा एवं स्वास्थ सुनिशिचत करने हेतु निम्न लिखित मांगो ध्यान देने की आवश्यकता है।
1. श्रम कानूनों का संसोधन कर तैयार किया गया चार श्रम कोड को अविलम्ब निरस्त किया जाय।
2. काम के समय 8 घंटा से बढ़ाकर 12 घंटा करने की कानूनी प्रावधान को
तत्काल निरस्त किया जाय एवं पुर्ववत 8 घंटा किया जायें।
3. कारखाना एवं खदानों में मज़दूरों की पेशागत सुरक्षा एवं स्वास्थ एवं सामाजिक सुनिशिचत करने हेतु फैक्ट्रीज एक्ट 1948, ईएसआई एक्ट 1948, माइनिंग एक्ट 1952, एवं एम्प्लाइज कंपनसेशन एक्ट 1923 को लागू किया जाय।
4. सरकार एवं ओशाज संस्था की ओर से चिन्हित किये गए सभी सिलिकोसिस आक्रान्त एवं मृतक के परिवारों को हरियाणा सरकार की तर्ज पर सिलिकोसिस से मृत व्यक्ति के आश्रितों को 6 लाख रुपया आर्थिक सहायता राशी एवं सिलिकोसिस आक्रांत मज़दूर के लिए पेंशन राशि 6000/- रुपया प्रति माह एवं मरणोपरांत उनके आश्रितों के लिए 5500/- रूपया, लड़की की शादी के लिए 75,000/-, लड़का के लिए 35000/- रूपया एवं शिक्षण खर्च क्लास 6 से प्रति वर्ष 6000/-, 8,000/- एवं 10,000/- रूपया के हिसाब से दिया जाय।
5. चूंकि सिलिकोसिस एक लाइलाज घातक बिमारी हैं अतः सिलिकोसिस
चिन्हितकरण एवं सिलिकोसिस आक्रान्त मज़दूरों का आयु बढ़ाने के लिए झारखण्ड के सभी ब्लॉक हॉस्पिटलों का मानोन्नयन 300 मिली एम्पियर का एक्स-रे मशीन, लंग फंक्शन टेस्ट मशीन, पर्याप्त ऑक्सीजन की व्यवस्था हो ताकि सदर या जिला अस्पताल में गरीब मजदूरों को दौड़ भाग करना न पड़े।
6. पीड़ित परिवारों के सक्षम युवा एवं युवतियों का सरकारी नौकरी में अग्राधिकार, आवासीय सुविधा का लाभ, स्कूल कॉलेज में पढ़ रहे सिलिकोसिस प्रभावित परिवारों के बच्चे तथा बच्चियों का निशुल्क शिक्षा पाने में अग्राधिकार दिया जाए।
7. सिलिकोसिस आक्रांत व्यक्ति द्वारा चिन्हितकरन के आधार पर कारखाना मालिकों से कर्मकार क्षतिपूर्ति अधिनियम 1923 के तहत मुआवजा प्रदान कराया जाए।
8. ऐसे कई मृतक हैं, जो उन्हीं मृतक मजदूरों के साथ काम किया करते थे, जिनके आश्रितों को आर्थिक सहायता राशी मिला है, जिनके पास कोई ऐसी जाँच रिपोर्ट नहीं है जिससे सिलिकोसिस होने की पुष्टि हो। चूंकि मृतक मजदूरों का ऐसे समूह जो एक तरह के पेशे में जुड़े थे एवं एक तरह की बीमारी का लक्षण उनमें पाया गया था, लेकिन उन्हें मरने के बाद दाह संस्कार के समय जला दिया गया था और जो एक ही एपिडेमीओलॉजिकल को हॉर्ट से आते मृतक मजदूरों के आश्रितों को भी आर्थिक सहायता राशी प्रदान किया जाए।
9. टी बी उन्मूलनकार्य योजना के तर्ज पर सिलिकोसिस सह निउमौकोनिओसिस का सभी प्रकार फेफड़े की बीमारियों का चिन्हितकरण एवं उन्मूलन कार्य योजना तैयार किया जाए।
10. सभी कारखानों एवं खदानों में श्रम कानून सख्ती से लागू किया जाए।
11. सभी सिलिका धूल उत्सर्जनकारी इकाइयों में तकनीकी सयंत्र के सहारे धूल नियंत्रण को बाध्यतामूलक किया जाए।
12. कार्यक्षेत्र (खदान और कारखाना) में पेशागत सुरक्षा एवं स्वास्थ संस्कार विकसित करने हेतु सभी हितधारोको में लगातार प्रचार प्रसार किया जाए।
13. एमजीएम कॉलेज अस्पातल में चेस्ट मेडिसिन एवं पेशागत बिमारिओं का विभाग जाँच केंद्र ( ऑक्यूपेशनल डिजीज डिटेक्शन सेंटर ) खोला जाय जहाँ स्वांस संबंधित बीमारियों का जांच हो सके।
14. रेडिओलॉजी विभाग में सिलिकोसिस सहित अन्य पेशागत फेफड़े की बीमारियों की आसान जाँच हेतु चेस्ट एक्स-रे प्लेट का आई.एल.ओ (ILO) रेटिंग यानि बर्गी करण की व्यबस्था किया जाय।
15. हिपोक्रेटिक के नाम से शपथ लेकर कार्यरत चिकित्सक को उसी अनुरू कार्य करने दिया जाय ताकि किसी भी प्रकार का दवाव मैं l चिकित्सक अनैतिक कार्य निर्वाह करने को बाध्य न हो।