जमशेदपुर : झारखण्ड राज्य अल्पसंख्यक आयोग, राँची के माननीय उपाध्यक्ष ज्योति सिंह मथारू ने महाराष्ट्र सरकार द्वारा तख्त हजूर साहिब अवचलनगर, नांदेड के नये प्रबंधन कानून की गहरी आलोचना की है एवं इसे समुदाय की धार्मिक आजादी पर हमला करार दिया है। महाराष्ट्र सरकार ने तख्त हजूर साहेब की प्रबंधन पर काबिज होने के लिये 1956 के कानून में संशोधन किया है। पहले महाराष्ट्र सरकार प्रबंधन में सात सदस्यों को मनोनित करती थी जिसे बढ़ाकर बारह कर दिया गया है। जबकि निर्वाचन क्षेत्र को घटाकर तीन कर दिया गया है। वहीं सिख शिरोमनी गुरूद्वारा प्रबंधक कमिटि के अधिकारों में भी कटौती करके चार के स्थान पर दो सदस्यों की नियुक्ति का अधिकार दिया है। एक सदस्य हैदराबाद और सिकंदराबाद से चुन कर आते थे, जिसे समाप्त कर दिया गया है।
नये कानून में प्रबंधन में सत्रह सदस्य होंगे जिसमें बारह सदस्य सरकार द्वारा मनोनित होंगे। इस व्यवस्था से अब यह तय है कि प्रबंधन कमिटि पर सरकार का नियंत्रण हो जायेगा। इससे सिख समुदाय में गहरी नाराजगी है। सिख समुदाय के पाँच महत्वपूर्ण तख्त हैं। इन तख्तों का संचालन शुरू से सिख समुदाय के पास रहा है। तख्तों के संचालन में सरकारी हस्तक्षेप से सिख समुदाय नाराज है।
समुदाय के योगदान से जो राषि प्राप्त होती है, उसका उपयोग सामाजिक कार्यों के लिये किया जाता है। सरकारी हस्तक्षेप से राशि के गलत इस्तेमाल होने की संभावना है।
सिख समुदाय की नाराजगी को देखते हुये माननीय उपाध्यक्ष महोदय द्वारा भारत सरकार के माननीय राष्ट्रपति एवं महाराष्ट्र के माननीय राज्यपाल से इस कानून को वापस कराने का अनुरोध किया है। साथ हीं महाराष्ट्र के माननीय मुख्यमंत्री से कानून को वापस लेने का अनुरोध किया है तथा राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के माननीय अध्यक्ष को भी इस मामले में हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया है।